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Jharkhand News: हेमंत सोरेन से मिले CM केजरीवाल, केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ मांगा समर्थन

Jharkhand News: गत दिनों सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक अभूतपूर्व फैसले में दिल्ली का असली बॉस जनता द्वारा चुनी गई केजरीवाल सरकार को बताया था। इसके अलावा कोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया था कि अधिकारियों के तबादले और नियुक्ति के संबंधित फैसले के अधिकार केजरीवाल सरकार को हैं।

नई दिल्ली। आप संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल लगातार अध्यादेश को लेकर विभिन्न विपक्षी दलों का समर्थन मांगने में जुटे हैं। इसके लिए वे लगातार विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों से मुलाकात कर रहे हैं। अब तक वे पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मुलाकात कर चुके हैं। आज इसी कड़ी में उन्होंने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात की। इस दौरान केजरीवाल ने सोरेन से अध्यादेश को लेकर उनका समर्थन मांगा। बता दें कि अब तक सीएम केजरीवाल कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों से मुलाकात के दौरान केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ समर्थन मांग चुके हैं। केजरीवाल ने सभी विपक्षी दलों से अपील की है कि सभी एकजुट होकर संसद में केंद्र के अध्यादेश को कानून बनने से रोके। इससे केंद्र को हमारी विपक्षी एकता का एहसास होगा। वहीं कुछ सियासी विश्लेषकों का यहां तक कहना है कि केजरीवाल विभिन्न विपक्षों दलों के नेताओं से मुलाकात करके आगामी लोकसभा चुनाव के आलोक में अपना अलग मोर्चा बनाने की कवायद में जुटे हुए हैं।


ध्यान रहे कि कुछ ऐसी ही कोशिशों में पिछले कुछ दिनों से जदयू प्रमुख और बिहार के सीएम नीतीश कुमार भी जुटे हुए हैं। वे भी लगातार विपक्षी दलों से मुलाकात करके बीजेपी के खिलाफ गठबंधन करने की मंशा साफ जाहिर कर चुके हैं। इसी कड़ी में अब तक वे दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल, सीएम ममता बनर्जी, सीएम नवीन पटनायक, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जन खड़गे और कांग्रेस नेता राहुल गांधी से मुलाकात कर चुके हैं। बहरहाल, अब आगामी लोकसभा चुनाव के आलोक में बीजेपी के विरोध में विपक्षी दलों के गठबंधन का स्वरूप कैसा रहता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी। वहीं, इसके अलावा इस बात को लेकर भी चर्चाओं का बाजार गुलजार है कि आखिर विपक्ष के इस गठबंधन का अगुवा कौन होगा? यह अपने आप में बड़ा सवाल है। ध्यान दें कि अमेरिकी दौरे पर गए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी को पराजित करने के लिए विपक्षी एकजुटता पर बल दिया है। आइए अब आगे उस अध्यादेश के बारे में जान लेते हैं, जिसे लेकर केजरीवाल लगातार विपक्षी दलों से समर्थन मांग रहे हैं।

गत दिनों सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक अभूतपूर्व फैसले में दिल्ली का असली बॉस जनता द्वारा चुनी गई केजरीवाल सरकार को बताया था। इसके अलावा कोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया था कि अधिकारियों के तबादले और नियुक्ति के संबंधित फैसला लेने का अधिकार केजरीवाल सरकार को हैं। वहीं केंद्र द्वारा नियुक्त उपराज्यपाल के पास महज जमीन, कानून-व्यवस्था और सुरक्षा से संबंधित फैसले लेने का ही अधिकार है। इन सभी विषयों को छोड़कर सभी विषयों पर फैलने लेने का अधिकार अगर किसी के पास है, तो वो  केजरीवाल सरकार है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को केंद्र सरकार के लिए बड़े झटके के तौर पर देखा गया था। कोर्ट के इस फैसले को राजनीतिक गलियारों में केजरीवाल सरकार की बड़ी जीत के रूप में देखा गया था, लेकिन कोर्ट के उक्त फैसले के हफ्तेभर बाद ही केंद्र सरकार उपराज्यपाल की शक्तियों को कम करने के लिए एक ऐसा अध्यादेश ले आई, जिसमें उपराज्यपाल की शक्तियों का बढ़ाने का पूरा प्रावधान किया गया था। वहीं, केंद्र के इस कदम को केजरीवाल सरकार ने असंवैधानिक बताया है और विपक्षी दलों से इस दिशा में समर्थन की मांग कर रही है। बहरहाल, अब इस पूरे मसले को लेकर राजनीतिक संग्राम जारी है। अब ऐसे में यह पूरा माजरा आगामी दिनों में क्या रुख अख्तियार करता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।