
नई दिल्ली। दिल्ली लोक सेवा बिल के कानून बन जाने के बाद राजनीतिक गलियारों में कयास लगाए जा रहे थे कि सीएम केजरीवाल इंडिया गठबंधन से दूरी बना सकते हैं, क्योंकि पिछले कुछ दिनों से सीएम केजरीवाल सार्वजनिक मंचों से खुलकर कांग्रेस को आड़े हाथों ले रहे हैं। बीते दिनों विधानसभा में जहां केजरीवाल ने दिल्ली की पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार को आड़े हाथों लिया था, तो वहीं दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में जनसभा को संबोधित करने के क्रम में उन्होंने कांग्रेस पर चुन-चुन कर हमला बोला था।
उन्होंने कांग्रेस पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए कहा था कि अगर हमारी पार्टी सत्ता में आती है, तो दिल्ली की तर्ज पर यहां भी शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के दिशा में अभूतपूर्व काम करेंगे। जिस पर कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने केजरीवाल को जवाब देते हुए कहा था कि रायपुर क्यों जाएं? हमारी छत्तीसगढ़ सरकार के प्रदर्शन की तुलना पिछली रमन सिंह सरकार से की जाएगी। आइए हम अपनी पसंद का एक क्षेत्र चुनें और यहां दिल्ली में कांग्रेस सरकार बनाम अपनी सरकार के प्रदर्शन की तुलना करें। बहस के लिए तैयार हैं?
वहीं, सीएम केजरीवाल के बदले रुख के बाद माना जा रहा था कि वो आगामी दिनों में कोई धमाकेदार कदम उठाते हुए इंडिया गठबंधन से अलहदा हो सकते हैं, लेकिन आपको बता दें कि आज सीएम केजरीवाल ने पुष्टि कर दी है कि वो मुंबई में प्रस्तावित विपक्षी दलों की बैठक में हिस्सा लेंगे। उन्होंने खुद इसकी पुष्टि की है। ध्यान दें, इससे पहले यह बैठक राजधानी पटना और कर्नाटक में हुई थी। वहीं, पटना में हुई बैठक में कांग्रेस और आप के बीच नाराजगी सामने आई थी। दरअसल, कांग्रेस ने दिल्ली लोक सेवा बिल को लेकर सदन में आप का समर्थन करने से गुरेज किया था, लेकिन बाद में अन्य दलों की समझाइश के बाद कांग्रेस ने आप का समर्थन करने का ऐलान किया, लेकिन इस समर्थन के बावजूद भी सदन में दिल्ली लोक सेला बिल कानून बन चुका है।
ध्यान दें, कई राज्यों में पार्टियों के आपस में मतभेद हैं, लेकिन आगामी लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार को पस्त करने के मकसद से सभी विपक्षी दल इंडिया गठबंधन के तले आए हैं। बहरहाल, अब केजरीवाल ने मुंबई में प्रस्तावित बैठक में शामिल होने का ऐलान कर दिया है, लेकिन आगामी दिनों में सियासी मोर्चे पर उनका क्या रुख रहता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।