लखनऊ। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की नजरें अब सूबे के गैर मान्यता वाले मदरसों की तरफ घूमी है। उन्होंने ऐसे सभी मदरसों का सर्वे कराने का निर्देश जारी किया है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग NCPCR ने इसकी अपेक्षा यूपी सरकार से की थी। यूपी के अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री दानिश अंसारी ने ये जानकारी दी। अंसारी के मुताबिक इस सर्वे में मदरसे की आय के स्रोत, गैर सरकारी संस्था से उसकी संबद्धता के अलावा छात्रों की संख्या, पेयजल, बिजली, शौचालय की व्यवस्था, फर्नीचर, शिक्षकों की संख्या समेत सभी जानकारियां इकट्ठा की जानी हैं। मंत्री ने बताया कि इस सर्वे में जो मदरसे मानकों के मुताबिक मिलेंगे, उनको मान्यता देने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। अभी सिर्फ सूचना इकट्ठा किए जाने की तैयारी है।
बता दें कि यूपी सरकार के पास जो आंकड़े हैं, उनके मुताबिक राज्य में कुल 16461 मदरसे हैं। इनमें से सिर्फ 560 को ही सरकारी अनुदान मिलता है। इस अनुदान सूची में पिछले 6 साल में खुले मदरसों को शामिल नहीं किया गया है। मंत्री दानिश अंसारी ने ये भी बताया कि जिन मदरसों को अनुदान मिल रहा है, उनमें अब प्रबंध समिति में किसी विवाद या समिति के किसी सदस्य की गैर मौजूदगी में मदरसे के प्रिंसिपल और जिला अल्पसंख्यक कल्याण अफसर वहां मृतक आश्रित कोटे से नियुक्ति दे सकेंगे। अंसारी ने ये भी बताया कि अब जिन मदरसों को सरकारी मदद मिलती है, वहां के शिक्षक और अन्य कर्मचारियों के आवेदन पर मदरसे के प्रबंधन की सहमति और राज्य मदरसा शिक्षा परिषद के रजिस्ट्रार की मंजूरी से ट्रांसफर भी हो सकेगा।
उन्होंने ये भी बताया कि मदरसों में जो भी महिला कर्मचारी हैं, उनको माध्यमिक शिक्षा विभाग औऱ बेसिक शिक्षा विभाग के नियमों के तहत मातृत्व अवकाश और बच्चे की देखभाल के लिए छुट्टी भी मिलेगी। टीचर्स एसोसिएशन मदारिस अरबिया के महासचिव दीवान साहब जमां ने इन फैसलों का स्वागत किया है। जमां के मुताबिक इससे अनुदान पाने वाले मदरसों के टीचर्स और कर्मचारियों को बहुत फायदा होगा।