newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

Asaduddin Owaisi: सीएम योगी ने ज्ञानवापी पर दिया बयान, तो ओवैसी को लग गई मिर्ची, कह दी ऐसी बात, देखिए वीडियो

इससे पहले बीते रविवार को स्वामी ने बीजेपी को हिदायत देते हुए कहा था कि बीजेपी सभी मस्जिदों में मंदिर ढूंढना छोड़ दे। अगर बीजेपी ऐसा करेगी तो उसे इसकी भारी कीमत चुकानी होगी। बता दें कि स्वामी के इस बयान पर बसपा प्रमुख मायावती ने आपत्ति जताई थी। उन्होंने अपनी प्रतिक्रियात्मक बयान में कहा था कि स्वामी जब बीजेपी में थे, तब तो उन्होंने इस तरह का बयान नहीं दिया, लेकिन अब जब चुनाव नजदीक आ रहे हैं, तो वो लोगों को बरगलाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उनकी यह कोशिश सफल नहीं होगी।

नई दिल्ली। ज्ञानवापी पर सीएम योगी द्वारा दिए गए बयान के बाद सियासी पारा चढ़ गया है। दरअसल, मुख्यमंत्री ने एएनआई को दिए इंटरव्यू में कहा कि ज्ञानवापी एक मंदिर है। मुस्लिम पक्ष की ओर से ऐतिहासिक त्रुटि हुई है, जिसे ध्यान में रखते हुए उनकी तरफ से सकारात्मक कदम उठाते हुए प्रस्ताव आना चाहिए, जिस पर सर्वसम्मति से मुहर लगेगी। बता दें कि सीएम योगी का उक्त बयान ज्ञानवापी पर ऐसे वक्त में सामने आया है, जब यह मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट में विचाराधीन है, जिस पर आगामी 3 अगस्त को सुनवाई होगी। बीते दिनों हिंदू पक्ष की मांग को ध्यान में रखते हुए वाराणसी की जिला अदालत ने ज्ञानवापी का सर्वे कराने का निर्देश दिया था, जिसके विरोध में मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। जवाब में सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को राहत देते हुए सर्वे पर रोक लगा दी। फिलहाल, मामला इलाहाबाद कोर्ट में विचाराधीन है, जिस पर आगामी 3 अगस्त को सुनावाई होगी। अब कोर्ट का इस पर क्या फैसला सामने आता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी, लेकिन सीएम योगी द्वारा दिए गए उक्त बयान के बाद सियासी पारा चढ़ गया है।

मुख्यमंत्री के बयान पर एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि सीएम योगी जानते हैं कि मुस्लिम पक्ष ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में एएसआई सर्वे का विरोध किया है और कुछ दिनों में फैसला सुनाया जाएगा, फिर भी उन्होंने इतना विवादित बयान दे दिया, ये है न्यायिक अतिरेक। बता दें कि इससे पहले सपा महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी इस पर बयान दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि ज्ञानवापी मस्जिद ही है, इसलिए तो मामला कोर्ट में विचाराधीन है। अगर यह मंदिर होता, तो आज यह कोर्ट में विचाराधीन नहीं होता। इससे पहले बीते रविवार को स्वामी ने बीजेपी को हिदायत देते हुए कहा था कि बीजेपी सभी मस्जिदों में मंदिर ढूंढना छोड़ दे। अगर बीजेपी ऐसा करेगी तो उसे इसकी भारी कीमत चुकानी होगी। बता दें कि स्वामी के इस बयान पर बसपा प्रमुख मायावती ने आपत्ति जताई थी। उन्होंने अपनी प्रतिक्रियात्मक बयान में कहा था कि स्वामी जब बीजेपी में थे, तब तो उन्होंने इस तरह का बयान नहीं दिया, लेकिन अब जब चुनाव नजदीक आ रहे हैं, तो वो लोगों को बरगलाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उनकी यह कोशिश सफल नहीं होगी।

ध्यान दें कि स्वामी ने अपने बयान में यह भी कहा था कि सभी मंदिर के नीचे बौद्ध मठ मौजूद हैं, क्योंकि सभी मंदिरों का निर्माण बौद्ध मठों को ध्वस्त करके किया गया है, लिहाजा मैं एएसआई से अनुरोध करना चाहूंगा कि वो ज्ञानवापी का सर्वे करने के दौरान यह भी पता करें कि मंदिर के नीचे बौद्ध मठ तो मौजूद नहीं है। ध्यान दें कि बीते रविवार ऑल इंडिया बौद्ध ट्रस्ट के प्रमुख ने तो यहां तक कह दिया था कि ज्ञानवापी ना मंदिर है, ना मस्जिद है, बल्कि बौद्ध मठ है, लिहाजा अब हम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करेंगे।