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CPI: कम्युनिस्ट भी जपने लगे हैं भगवान राम का नाम, जानिए आखिर क्यों बदला CPI का दिल

Communists : मल्लपुरम में सीपीआई की जिला कमेटी के सचिव पीके कृष्णदास ने अंग्रेजी अखबार से कहा कि मौजूदा दौर में हिंदुत्व पर सांप्रदायिक और फासीवादी ताकतों ने एकाधिकार बना लिया है।

कोझीकोड। पहले भगवान राम को मानते नहीं थे। रामसेतु और रामायण को काल्पनिक बताते थे, लेकिन बीजेपी का डर अब कम्युनिस्ट पार्टियों को इतना सता रहा है कि उन्हें भी राम-राम कहना पड़ रहा है। मामला केरल का है। अंग्रेजी अखबार ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ के मुताबिक केरल में सरकार में शामिल कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया CPI की मल्लपुरम जिला कमेटी ने भगवान राम पर 7 दिन की ऑनलाइन चर्चा कराई है। पार्टी का मानना है कि भगवान राम पर चर्चा करके वह बीजेपी और संघ परिवार का सामना ठीक से कर सकेगी। सीपीआई जिला कमेटी के फेसबुक पेज पर ये चर्चा हुई। इसमें पार्टी के राज्यस्तरीय नेताओं ने भी हिस्सा लिया। सीपीआई ने इस चर्चा का शीर्षक ‘रामायण एंड इंडियन हेरिटेज’ रखा था। 25 जुलाई से ये चर्चा शुरू हुई थी और आज इसका समापन हो गया। मल्लपुरम में सीपीआई की जिला कमेटी के सचिव पीके कृष्णदास ने अंग्रेजी अखबार से कहा कि मौजूदा दौर में हिंदुत्व पर सांप्रदायिक और फासीवादी ताकतों ने एकाधिकार बना लिया है। इससे लोग बाकी पार्टियों से दूर हो रहे हैं। ऐसे में रामायण जैसे मसले पर चर्चा कर हमने समझा कि मौजूदा वक्त में इसकी प्रासंगिकता क्या है।

बता दें कि कम्युनिस्ट कभी ईश्वर के वजूद पर विश्वास नहीं करते। भगवान राम को वे काल्पनिक बताते रहे हैं। कम्युनिस्टों के दबाव के कारण ही केंद्र में मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार के दौरान सुप्रीम कोर्ट में रामायण को काल्पनिक और रामसेतु का भगवान राम से कोई रिश्ता न होने का हलफनामा दिया गया था।

Ram Mandir nirman

2014 में बीजेपी ने हिंदुत्व, राम और विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ा था और तभी से विपक्ष की हालत उसके सामने पतली है। ऐसे में सभी दल राम का नाम ले रहे हैं। यूपी में सपा, बीएसपी, कांग्रेस सभी राम के नाम पर चुनावी वैतरणी पार करने की कोशिश में जुटी हैं। बीजेपी पहले से ही भगवान राम और अयोध्या में उनके भव्य मंदिर को मुद्दा बनाती रही है और अब तो अयोध्या में राम मंदिर भी बन रहा है।