
नई दिल्ली। एक तरफ प्रधानमंत्री मोदी 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन करने वाले हैं, तो दूसरी तरफ विपक्षी दल इसको लेकर सियासी हंगामा खड़ा कर रहे हैं। तो दूसरी तरफ आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री YS जगनमोहन रेड्डी ने पीएम मोदी द्वारा नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर उनकी तारीफ की है। लेकिन इस बीच कांग्रेस और विपक्ष के नेताओं का दोहरा चरित्र भी देखने को मिल रहा है। 19 विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के द्वारा नए संसद भवन का उद्घाटन करने की मांग करते हुए पीएम मोदी द्वारा उद्घाटन किए जाने का विरोध किया है। इसी के चलते इन सभी विपक्षी दलों ने इस कार्यक्रम का बहिष्कार करने का भी फैसला किया है। लेकिन जो कांग्रेस आज द्रौपदी मुर्मू के लिए दुहाई दे रही है उसी के बड़े नेताओं ने समय समय पर राष्ट्रपति मुर्मू की खूब बेइज्जती भी की है। मतलब आज जो उन्हें आदिवासी समाज याद आ रहा है वो सिर्फ राजनीतिक रोटी सेंकने वाले स्टंट के आलावा कुछ और नहीं है।
आइए आपको बताते हैं कब कब कांग्रेस के नेताओं ने राष्ट्रपति मुर्मू को अपमानित किया है-
इससे पहले कांग्रेस पार्टी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को धोखेबाज़ कहकर उनका अपमान किया था। 2023 में संसद के संयुक्त सत्र की शुरुआत में मनीष तिवारी ने ट्वीट किया था कि ‘राष्ट्रपति अपने मन की बात नहीं कह सकती हैं, फिर उनके संयुक्त अविभाषण का क्या महत्व है।”
Have always wondered what is the purpose of the President’s Address to the Joint Session of Parliament if @rashtrapatibhvn can not speak her own mind.
Can or Does Article 74 of COI circumscribe @rashtrapatibhvn freedom of speech & expression?
Should be seriously debated.
— Manish Tewari (@ManishTewari) January 31, 2023
2022 में कांग्रेस नेता उदित राज ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को चमचागिरी करने वाला अध्यक्ष बताया था, जिसके बाद भी कांग्रेस को राष्ट्रपति के सम्मान की याद नहीं आई।
अलावा साल 2022 में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को ‘राष्ट्रपत्नी’ कहा था। उन्होंने जानबूझकर ऐसा कहा और इसे दो बार दोहराया भी, तब भी कांग्रेस को राष्ट्रपति के सम्मान की याद नहीं आई।
इसके आलावा 2022 में, कांग्रेस नेता अजय कुमार ने कहा था कि एनडीए के राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू “भारत के बहुत बुरे दर्शन” का प्रतिनिधित्व करती हैं और उन्हें “आदिवासी समुदाय का प्रतीक” नहीं बनाया जाना चाहिए। तब भी कांग्रेस को राष्ट्रपति का सम्मान याद नहीं आया था।
इसके आलावा बीजेपी ने ये भी सवाल उठाए हैं कि कांग्रेस पार्टी के कई सांसद भी संसद के संयुक्त सत्र (जनवरी, 2023) में राष्ट्रपति के अभिभाषण से चूक गए थे, उन्होंने ‘खराब मौसम के कारण उड़ान में देरी’ का हवाला देते हुए कहा था कि उन्हें भारत जोड़ो यात्रा के समापन के बाद जम्मू और कश्मीर से दिल्ली लौटना था। यदि कांग्रेस पार्टी राष्ट्रपति के कार्यालय के लिए बहुत सम्मान करती है, तो पार्टी के सांसद संसद के संयुक्त सत्र में राष्ट्रपति के अभिभाषण से क्यों चूक गए। क्या भारत जोड़ो यात्रा संवैधानिक दायित्व से ज्यादा महत्वपूर्ण थी? बीजेपी का ये सवाल वाजिब भी लगता है क्योंकि कांग्रेस आज राष्ट्रपति के लिए अचानक सम्मान दिखा रही है तो राष्ट्रपति के संयुक्त अधिवेशन में में मौजूद होना भी तो महत्वपूर्ण था। क्या तब कांग्रेस ने उनका अपमान नहीं किया था।