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Karnataka Assembly Election: अखबार में बीजेपी सरकार के कथित भ्रष्टाचार का रेट कार्ड छाप कांग्रेस मुश्किल में, चुनाव आयोग ने मांगे सबूत

चुनाव आयोग ने अपने नोटिस में कहा है कि उचित धारणा है कि संबंधित विज्ञापन के संबंध में कांग्रेस के पास सामग्री, अनुभव आधारित और सत्यापन योग्य सबूत होंगे। अगर ऐसे कोई सबूत हैं, तो 7 मई की शाम 7 बजे तक स्पष्टीकरण देने के साथ ही उसे सार्वजनिक डोमेन में भी डालें।

बेंगलुरु। कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए 10 मई को वोटिंग है। मतदान में बस 3 दिन बचे हैं और इस बीच, कर्नाटक में सत्ता हासिल करने का सपना देख रही कांग्रेस नई मुश्किल में घिर गई है। दरअसल, कांग्रेस की तरफ से कर्नाटक के अखबारों में विज्ञापन दिया गया था। इस विज्ञापन में कांग्रेस ने बीजेपी सरकार पर भ्रष्टाचार करने के रेट बताए हैं। कांग्रेस के विज्ञापन में राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी, राहुल गांधी, सिद्धारामैया और डीके शिवकुमार की तस्वीरें भी लगी हैं। चुनाव आयोग ने इसी विज्ञापन पर अब कांग्रेस से सबूत मांगे हैं। अगर कांग्रेस उचित सबूत न दे सकी, तो उसके खिलाफ चुनाव आयोग कानूनी कार्रवाई करेगा। देखिए, कांग्रेस का वो विज्ञापन जिसपर चुनाव आयोग ने उसे नोटिस भेजा है।

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चुनाव आयोग ने कांग्रेस को नोटिस भेजकर आज शाम 7 बजे तक जवाब और सबूत देने का वक्त दिया है। चुनाव आयोग ने अपने नोटिस में कहा है कि उचित धारणा है कि संबंधित विज्ञापन के संबंध में कांग्रेस के पास सामग्री, अनुभव आधारित और सत्यापन योग्य सबूत होंगे। जिनके आधार पर विशिष्ट और स्पष्ट तथ्यों को प्रकाशित किया गया है। अगर ऐसे कोई सबूत हैं, तो 7 मई की शाम 7 बजे तक स्पष्टीकरण देने के साथ ही उसे सार्वजनिक डोमेन में भी डालें। बीजेपी पहले ही इस मामले में कर्नाटक कांग्रेस कमेटी, सिद्धारामैया, डीके शिवकुमार और राहुल गांधी को कानूनी नोटिस भेज चुकी है।

Election commission

दरअसल, आचार संहिता के प्रावधान 2 के अंश 1 के तहत चुनाव प्रचार के दौरान विपक्षी की मौजूदा और पूर्व नीतियों पर मुद्दे उठाकर कुछ कहा जा सकता है। किसी की निजी जिंदगी और जिससे जनता का कोई लेना-देना न हो, उस बारे में कुछ कहना आचार संहिता का उल्लंघन माना गया है। चुनाव आयोग ने कहा है कि बीजेपी के नेता ओमप्रकाश ने उसे कांग्रेस के विज्ञापन की जानकारी दी थी। अगर तय सीमा तक नोटिस का जवाब न मिला, तो आयोग मान लेगा कि कांग्रेस के पास कहने को कुछ नहीं है। फिर चुनाव आयोग इस बारे में जरूरी कानूनी कदम उठाएगा। अगर चुनाव आयोग को कांग्रेस अपने आरोपों पर सटीक सबूत न दे पाई, तो उसके खिलाफ जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 123(4) और आईपीसी की धारा 171(जी) के तहत कार्रवाई की जा सकती है।