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Supreme Court Closes Petition Against Sadhguru’s Isha Foundation : अदालती कार्यवाही संस्थानों को बदनाम करने के लिए नहीं हो सकती, सुप्रीम कोर्ट ने सद्गुरु के ईशा फाउंडेशन के खिलाफ याचिका खारिज की

Supreme Court Closes Petition Against Sadhguru’s Isha Foundation : मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूति मनोज मिश्रा की बेंच ने अपने फैसले में यह भी कहा कि मद्रास हाईकोर्ट के लिए इस तरह याचिका पर आश्रम की जांच का आदेश देना पूरी तरह अनुचित था। दोनों महिलाओं के बयान का हवाला देते हुए कहा कि वो अपनी मर्जी से योग केंद्र आश्रम में रह रही हैं, इसलिए उनके पिता द्वारा आश्रम के खिलाफ दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका बंद करनी होगी।

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सद्गुरु जग्गी वासुदेव के ईशा फाउंडेशन के खिलाफ दायर याचिका को आज खारिज कर दिया। मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूति मनोज मिश्रा की बेंच ने अपने आदेश में कहा कि अदालती कार्यवाही संस्थानों को बदनाम करने के लिए नहीं हो सकती। कोर्ट ने यह भी कहा कि मद्रास हाईकोर्ट के लिए इस तरह याचिका पर आश्रम की जांच का आदेश देना पूरी तरह अनुचित था। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट द्वारा दिए गए जांच के आदेश पर पहले ही रोक लगा दी थी।

दरअसल एक रिटायर्ड प्रोफेसर एस. कामराज ने ईशा फाउंडेशन के खिलाफ मद्रास हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी। अपनी याचिका में उन्होंने आरोप लगाया था कि उनकी दो बेटियों को जबरन बंधक बनाकर आश्रम में रखा गया है। हाईकोर्ट ने इस याचिका पर संज्ञान लेते हुए पुलिस को ईशा फाउंडेशन आश्रम की जांच करने और स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट के आदेश के बाद बड़ी संख्या में पुलिस बल आश्रम की जांच पड़ताल करने पहुंचे भी थे। इसके बाद ईशा फाउंडेशन ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी। सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान उन दोनों महिलाओं से बात कर उनका पक्ष जाना जिनके पिता ने आरोप लगाया था कि उनकी बेटियों को आश्रम में जबरन बंधक बनाकर रखा गया है।

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के समक्ष उन दोनों महिलाओं ने बताया कि वो अपनी मर्जी से आश्रम में रह रही हैं। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट द्वारा दिए गए कार्रवाई के आदेश पर रोक लगा दिया था। इसके बाद आज की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने उन दोनों महिलाओं के बयान का हवाला देते हुए कहा कि वो अपनी मर्जी से योग केंद्र आश्रम में रह रही हैं, इसलिए उनके पिता द्वारा आश्रम के खिलाफ दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका बंद करनी होगी।