नई दिल्ली। नीतीश कुमार ने विपक्षी एकता की अगुवाई कर बीजेपी को हराने का मुहिम शुरू किया है। 2024 के लोकसभा चुनावों में नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री के रूप में विपक्षी दलों का नेतृत्व करने की उम्मीद है। इस मुहिम की प्रारंभिक बैठक 23 जून को पटना में होने की तैयारी की जा रही है। दावा किया जा रहा है कि 15 से अधिक राज्यों के विपक्षी पार्टियों के बड़े नेता इस बैठक में शामिल होंगे। हालांकि, दलित नेता के रूप में पहचानी जाने वाली बहनजी मायावती इस बैठक में शामिल नहीं होंगी।
बिहार के बहुजन समाजवादी पार्टी (बीएसपी) के प्रभारी अनिल सिंह ने कहा है कि उनकी पार्टी ने पहले ही यह स्पष्ट कर दिया है कि वह विपक्ष की एकता का हिस्सा नहीं बनेंगे। उन्होंने कहा है कि उनकी पार्टी लगभग पांच राज्यों में अकेले ही चुनाव लड़ती है और इस बार भी वे अकेले ही चुनाव लड़ेंगे। बीएसपी बिहार के सभी 40 सीटों पर अपने उम्मीदवारों को उतारेगी।
अनिल सिंह ने इसके अलावा कहा है कि उन्हें दलितों के उत्थान के बारे में सोचने की जरूरत है और इसलिए दलित प्रधानमंत्री का होना चाहिए, जो मायावती से बेहतर किसी नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया है कि विपक्ष में सभी अपने-अपने चेहरों को आगे कर रहे हैं और इससे एकजुट होने में कठिनाईयाँ आ रही हैं। उनके मुताबिक, नीतीश कुमार बिहार का नियंत्रण नहीं संभाल पा रहे हैं, फिर भी वह देश को संभालने के लिए उम्मीदवारी का दावा कर रहे हैं।