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Maharashtra: शिवसेना ने राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू के समर्थन का किया ऐलान तो भड़क गई कांग्रेस, जमकर सुनाया

Maharashtra: शिवसेना की सहयोगी एनसीपी और कांग्रेस ने उद्धव ठाकरे के इस फैसले पर हैरान जताई है। इतना ही नहीं शिवसेना की सहयोगी कांग्रेस ने यहां तक आरोप लगा दिया कि उद्धव ठाकरे ने इस फैसले पर उनसे विचार विमर्श तक नहीं किया।

नई दिल्ली। महाराष्ट्र की सत्ता गंवाने के बाद शिवसेना अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बीते दिन एनडीए की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को सपोर्ट करने का ऐलान किया। शिवसेना चीफ ने यह फैसला तब लिया है जब हाल ही उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव पर मंथन के लिए शिवसेना के सांसदों की बैठक बुलाई थी। जिसमें अधिकांश सांसदों ने एनडीए की राष्ट्रपति उम्मीदवार को समर्थन देने की बात कही थी। ऐसे में कहा जा सकता है कि एनडीए उम्मीदवार का समर्थन करना उद्धव ठाकरे की मजबूरी है या फिर से शिवसेना भाजपा से नजदीक आने की कोशिश में है। वहीं शिवसेना का द्रौपदी मुर्मू का समर्थन देने पर महाविकास अघाडी (MVA) में खलबली से मच गई है। शिवसेना की सहयोगी एनसीपी और कांग्रेस ने उद्धव ठाकरे के इस फैसले पर हैरान जताई है। इतना ही नहीं शिवसेना की सहयोगी कांग्रेस ने यहां तक आरोप लगा दिया कि उद्धव ठाकरे ने इस फैसले पर उनसे विचार विमर्श तक नहीं किया।

महाराष्ट्र कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मंत्री बालासाहेब थोराट (Balasaheb Thorat) ने ट्वीट कर शिवसेना द्वारा राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए की प्रत्याशी को सपोर्ट करने पर आक्रोश जताया है। कांग्रेस नेता थोराट ने ट्वीट कर लिखा, ”राष्ट्रपति चुनाव एक वैचारिक लड़ाई है। यह लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए चल रहा संघर्ष है। यह लड़ाई महिलाओं, पुरुषों या आदिवासियों, गैर-आदिवासियों के बीच नहीं है। वे सभी जो संविधान और लोकतंत्र की रक्षा के पक्ष में हैं, यशवंत सिन्हा का समर्थन कर रहे हैं।”

शिवसेना के इस निर्णय के बाद महाविकास अघाड़ी में फूट पड़ती दिखाई दे रही है। बता दें कि शिवसेना की दोनों सहयोगी एनसीपी और कांग्रेस विपक्ष के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को समर्थन देने का ऐलान कर चुकी  है। उधर सीएम पद की कुर्सी गंवा चुके उद्धव ठाकरे को पार्टी में टूट न पड़े इसके लिए शिवसेना के सांसदों की बात माननी पड़ी है। आपको बता दें कि 18 जुलाई को राष्ट्रपति पद के लिए मतदान होना है। जिसके बाद 21 जुलाई को देश को नया महामहिम मिल जाएगा।