नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने एनएलयू कॉन्सोर्शियम को आदेश दिया है कि वो 7 दिसंबर 2024 को जारी सीएलएटी की मेरिट लिस्ट को फिर से तैयार करे। एनएलयू कॉन्सोर्शियम देश की सभी लॉ यूनिवर्सिटीज का है। दिल्ली हाईकोर्ट की जस्टिस ज्योति सिंह ने आदित्य सिंह बनाम कॉन्सोर्शियम ऑफ नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज केस में ये आदेश भी दिया है कि हाल ही में एलएलबी कोर्स के लिए हुई सीएलएटी परीक्षा में सेट-ए के 2 सवालों 14 और 100 में सही जवाब के आधार पर अंक दिए जाएं। दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि सवाल नंबर 14 में जिन छात्रों ने सी ऑप्शन को सही बताया है, उनको इसका फायदा मिलना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि इन सवालों के बारे में आंखें मूंदे रखना याचिकाकर्ता के साथ अन्याय होगा।
सवाल नंबर 100 के बारे में कोर्ट ने कहा कि इसे मान्य न किया जाए। दिल्ली हाईकोर्ट ने सीएलएटी परीक्षा के बारे में कहा कि एक्सपर्ट कमेटी ने दोनों सवालों के बारे में यही राय दी है और ये राय सही है। इसी आधार पर फिर से नतीजे घोषित किए जाएं। दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट का भी हवाला दिया। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट कहा है कि संवैधानिक अदालतों को ऐसे मामलों में बहुत सावधानी बरतनी चाहिए। सीएलएटी 2025 की आंसर की के मसले पर 17 साल के छात्र आदित्य सिंह ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उनका कहना था कि कॉन्सोर्शियम की तरफ से जारी अनंतिम आंसर की को रद्द किया जाना चाहिए। क्योंकि कई सवालों के जवाब गलत हैं। याचिकाकर्ता ने काउंसिलिंग पर भी रोक लगाने की अपील कोर्ट से की थी।
दिल्ली हाईकोर्ट में केस होने के बाद कॉन्सोर्शियम ने प्रोविजनल आंसर की जारी की। याचिका में कहा गया कि इसके बाद अनंतिम आंसर की में भी वही गड़बड़ियां दिखाई गईं। याचिकाकर्ता के मुताबिक उसने इन गड़बड़ियों की तरफ सीएलएटी कराने वाले कॉन्सोर्शियम का ध्यान आकृष्ट किया, लेकिन फिर भी इसे ठीक किए बगैर काउंसिलिंग का कार्यक्रम तय किया गया। इससे याचिकाकर्ता के एडमिशन के चांस पर असर पड़ा। याचिकाकर्ता ने कोर्ट से अपील की थी कि वो कॉन्सोर्शियम से एक्सपर्ट कमेटी बनाने को कहे और ये कमेटी देखे कि उसकी तरफ से उठाए गए मुद्दे ठीक हैं या नहीं।