
नई दिल्ली। आज की तारीख में जबरन धर्मांतरण एक गंभीर समस्या का रूप धारण कर चुकी है। परिस्थितियां ऐसी बन चुकी हैं कि अगर समय रहते इस पर अंकुश लगाने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया तो स्थिति विकराल हो सकती है। अब इसी विकराल स्थिति को मूर्त रूप देने से बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में आज जबरन धर्मांतरण पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने जबरन धर्मांतरण पर चिंता जताई। गत दिनों इस संदर्भ में केंद्र सरकार से हलफनामा भी मांगा गया था, लेकिन केंद्र ने मामले पर उदासीनता बरती। जिस पर आज कोर्ट ने चिंता जताई।
कोर्ट ने कहा कि सभी को अपना धर्म को स्वीकारने का अधिकार है, लेकिन किसी दबाव में आप कोई को कोई विशेष धर्म चुनने के लिए बाध्य नहीं कर सकते हैं। हर व्यक्ति को आस्था की आजादी दी गई है। सभी को अपनी स्वतंत्रता के तहत अपने किसी भी धर्म का पालन करने का अधिकार दिया गया। आप किसी को भी कोई विशेष धर्म अपनाने के लिए बाध्य नहीं कर सकते हैं। अगर ऐसा होता है, तो यह असंवैधानिक स्थिति है। जिस पर अंकुश लगाने की जरूरत है। बता दें कि इससे पहले पांच दिसंबर को भी जबरन धर्मांतरण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी। तब कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस मामले में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था, लेकिन अभी तक इस मामले में कोई केंद्र की ओर से कोई कदम नहीं उठाया गया है। जिस पर आज सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। ऐसी स्थिति में आगामी दिनों में अब इस पूरे मसले पर कोर्ट और सरकार का क्या रुख रहता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।
बीते दिनों हुई सुनवाई में केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि गुजरात सरकार की ओर से जबरन धर्मांतरण पर रोक लागने के लिए कानून बनाया जा चुका है। इसके साथ ही अन्य राज्यों की सरकारें इस दिशा में आगे बढ़ चुकी है और कोर्ट ने बाकायदा केंद्र को भी इस मामले में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। अब ऐसे में कोर्ट का क्या रुख रहता है। ध्यान रहे कि बीते कुछ दिनों से राजनीतिक गलियारों में धर्मांतरण के मुद्दे पर विवादों का बाजार गुलजार है। जबरन धर्मांतरण का विरोध किया जा रहा है।
कई याचिकाएं कोर्ट में लंबित है। जिसमें मांग की गई है कि अधिकांश लोगों को धर्मांतरण के लिए बाध्य किया जा रहा है। जिस पर कोर्ट में सुनवाई जारी है। केंद्र सरकार की ओर से भी मामले में पैरवी की जा रही है। ध्यान रहे कि मौजूदा स्थिति को ध्यान में रखते हुए जबरन धर्मांतरण के खिलाफ कानून बनाए जाने की मांग जोर पकड़ रही है। केंद्र की ओर से भी इस दिशा में संकेत दिए जा चुके हैं। पांच दिसंबर को भी हुई सुनवाई में इस मसले को लेकर संकेत दिए जा चुके हैं। अब ऐसी स्थिति में जबरन धर्मांतरण के मुद्दे पर क्या कुछ कदम उठाए जाते हैं।