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Tamilnadu RSS March: आरएसएस का मार्च रोकने में जुटी तमिलनाडु की स्टालिन सरकार को जोर का झटका, सुप्रीम कोर्ट ने दी हरी झंडी

मद्रास हाईकोर्ट ने भी डीएमके सरकार के फैसले के खिलाफ आरएसएस के रूट मार्च को मंजूरी दी थी। जिसके खिलाफ एमके स्टालिन की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। अब सुप्रीम कोर्ट में भी स्टालिन सरकार को मुंह की खानी पड़ी है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब आरएसएस तमिलनाडु में रूट मार्च निकाल सकेगा।

नई दिल्ली। तमिलनाडु में सत्तारूढ़ डीएमके की सरकार को सुप्रीम कोर्ट से तगड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के रूट मार्च को हरी झंडी दिखा दी है। मद्रास हाईकोर्ट ने भी डीएमके सरकार के फैसले के खिलाफ आरएसएस के रूट मार्च को मंजूरी दी थी। जिसके खिलाफ एमके स्टालिन की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। अब सुप्रीम कोर्ट में भी स्टालिन सरकार को मुंह की खानी पड़ी है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस वी. रामसुब्रहमण्यम और जस्टिस पंकज मित्तल की बेंच ने आज इस बारे में फैसला सुनाते हुए कहा कि लोकतंत्र की एक भाषा होती है। वहीं, सत्ता की भी भाषा होती है। आप कौन सी भाषा बोलते हैं, ये इसपर निर्भर करता है कि आप किस तरफ हैं।

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दरअसल, आरएसएस ने तमिलनाडु के अलग-अलग हिस्सों में रूट मार्च निकालने का एलान किया था। वहीं, डीएमके सरकार का कहना था कि संवेदनशील इलाकों को छोड़कर रूट मार्च निकाल सकते हैं। डीएमके सरकार ने तमिलनाडु के 6 जिलों में आरएसएस के मार्च को मंजूरी देने से इनकार कर दिया था। सरकार का कहना था कि इन इलाकों में पीएफआई के हमले और बम धमाकों का खतरा है। तमिलनाडु सरकार और आरएसएस ने मिलकर रूट मार्च का रास्ता तय करने की बात भी कही थी। वहीं, मद्रास हाईकोर्ट ने स्टालिन सरकार के रूट मार्च पर रोक के फैसले को गलत बताया था।

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अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आरएसएस तमिलनाडु में रूट मार्च निकाल सकता है। इससे डीएमके के खिलाफ हिंदूवादी संगठन और बीजेपी को निशाना साधने का मौका भी मिल गया है। बीजेपी की स्थानीय इकाई ने पहले ही स्टालिन सरकार की तरफ से आरएसएस के मार्च को मंजूरी न मिलने पर उसके खिलाफ निशाना साधा था। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद डीएमके सरकार के सामने मंजूरी देने के अलावा कोई रास्ता भी नहीं बचा है।