नई दिल्ली। आगामी 6 फरवरी को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी समान नागरिक संहिता ( UCC )से संबंधित विधेयक विधानसभा में पेश करेंगे,लेकिन उससे पहले आज इस पूरे मामले में अहम कदम उठाया गया है। दरअसल, यूसीसी समिति की अध्यक्ष अंजना प्रकाश देसाई ने समिति के सदस्यों के साथ सीएम धामी को मसौदा रिपोर्ट सौंपी है। कल इस संदर्भ में कैबिनेट बैठक भी होगी , जिसमें इसे मंजूरी दी जा सकती है। अगर इसे मंजू्री दी गई, तो यह बीजेपी द्वारा आगामी लोकसभा चुनाव से पहले बड़ा सियासी दांव साबित होगा। बता दें , 27 मई 2022 को यूसीसी के संदर्भ में पांच सदस्यों की समिति गठित की गई थी, जिसके बाद अब इसका मसौदा फाइनल कर लिया गया है। आइए, आगे आपको यूसीसी के पूरे प्रावधान के बारे में विस्तार से बताते हैं।
UCC लागू करने वाला पहला राज्य बनेगा उत्तराखंड, कमेटी ने राज्य सरकार को सौंपी रिपोर्ट..CM पुष्कर सिंह धामी बोले – ‘सरकार ने संकल्प पूरा किया’#UniformCivilCode #UCC #UttarakhandCivilCode #PushkarSinghDhami | #ZeeNews @pushkardhami pic.twitter.com/lhYKWRFQcw
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आपको बता दें कि राजधानी देहरादून में यूसीसी को लेकर काम बदस्तूर जारी है। दिन-रात इस पर काम किया जा रहा है। यूसीसी में वर्षों पुरानी चली आ रही परंपराओं को ध्वस्त कर इससे उत्पन्न होने वाली दुश्वारियों को ध्वस्त करना मुख्य लक्ष्य है। वहीं, अगर इसके प्रावधानों की बात करें, तो यूसीसी लागू किए जाने के बाद बहुविवाह प्रथा पर अंकुश लगा दिया जाएगा। इसके अलावा लड़कियों की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल कर दी जाएगी। उधर, इस बिल के लागू किए जाने के बाद लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले प्रेमी युगल को अपने बारे में जानकारी देनी होगी। उन्हें इस बारे में अपने माता-पिता के साथ भी जानकारी साझा करना अनिवार्य होगा। अगर उनके माता-पिता उन्हें लिव इन में रहने की अनुमति देते हैं, तभी वो रह सकेंगे, नहीं तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी की जा सकती है।
उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) का ड्राफ्ट CM को सौंपा गया। अब इस ड्राफ्ट पर कल कैबिनेट में चर्चा होगी, फिर 6 फरवरी को विधानसभा में लाकर कानून पास कर दिया जाएगा।
एक से ज्यादा महिलाओं से शादी पर रोक, लड़कियों की शादी की उम्र 21 साल, लिव-इन के लिए रजिस्ट्रेशन जरूरी, विवाह… pic.twitter.com/RnbNmn9ZHR
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यही नहीं, लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले प्रेमी युगल को अपने बारे में पुलिस को भी जानकारी देनी होगी। उधर, विवाहित दंपतियों को पंजीकरण कराना अनिवार्य है। यूसीसी के लागू किए जाने के बाद मुस्लिम महिलाओं को गोद लेने का अधिकार मिल जाएगा। इसके लिए गोद लेने की प्रक्रियाओं को सरल बनाया जाएगा, ताकि उन्हें किसी भी प्रकार की विधिक दुश्वारियों का सामना ना करना पड़े। वहीं यूसीसी के लागू किए जाने के बाद मुस्लिम समुदाय में जारी इद्दत जैसी कुप्रथा पर विराम लगा दिया जाएगा। यूसीसी लागू किए जाने के बाद पति-पत्नी को समान तरह की कानूनी मदद मिलेगी। नौकरीपेशा बेटे की मृत्यु के बाद उसके माता-पिता की जिम्मेदारी पत्नी पर होगी।
#WATCH | Dehradun | UCC Committee Chairperson Justice Ranjana Prakash Desai along with the drafting committee members hand over the UCC draft report to Uttarakhand Chief Minister Pushkar Singh Dhami in a program organized at Mukhya Sevak Sadan. pic.twitter.com/xRMG700eWu
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इतना ही नहीं, यूसीसी लागू किए जाने के बाद पति -पत्नी के बीच किसी भी प्रकार का विवाद उत्पन्न होने की स्थिति में बच्चे की कस्टडी दादा-दादी को दी जा सकती है। उधर, बच्चों की संख्या का भी निर्धारण दंपति को जनसंख्या नियंत्रण कानून के आधार पर ही करना होगा। अगर वो इस कानून को नजरअंदाज करते हैं, तो उनके विरोध में कड़ी विधिक कार्रवाई करनी होगी। उधर, आदिवासी महिलाओं को भी यूसीसी लागू किए जाने के बाद छूट मिलेगी। बहरहाल, देखना होगा कि आगामी दिनों में यूसीसी कब तक लागू होता है।
क्या भारत में UCC जल्द लागू होना चाहिए?
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— Navneet Rana ( Parody ) (@MP_NavneetRana) February 1, 2024
आपको बता दें, साल 2022 में पुष्कर सिंह धामी ने अपनी पहली कैबिनेट बैठक में ही यूसीसी को लागू करने का फैसला किया था, जिसके बाद इस संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट की रिटायर जज रंजना प्रकाश देसाई की अगुवाई में समिति का गठन किया गया था। अगर उत्तराखंड में यूसीसी लागू हुआ, तो वो देश में इसे लागू करने वाला पहला राज्य बन जाएगा।