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Amit Shah : गुजरात चुनाव रैली में अमित शाह की ‘सबक सिखाने’ वाली टिप्पणी को चुनाव आयोग ने नहीं माना गलत, यहां देखिए क्या कहा

Amit Shah : गुजरात के खेड़ा में चुनावी रैली के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा था, ‘लेकिन 2002 में सबक सिखाने के बाद इन तत्वों ने वह रास्ता (हिंसा का) छोड़ दिया। उन्होंने 2002 से 2022 तक हिंसा में शामिल होने से परहेज किया। भाजपा ने सांप्रदायिक हिंसा में शामिल होने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करके गुजरात में स्थायी शांति स्थापित की है।’

नई दिल्ली। गुजरात चुनाव प्रचार के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 2002 गुजरात दंगों को लेकर अपने चुनावी भाषण में ‘सबक सिखाने’ वाली जो टिप्पणी की थी, उसको लेकर विपक्ष ने बीजेपी को घेरने के प्रयास किया था। चुनाव आयोग के पास इस टिप्पणी की शिकायत भेजी गई थी। अब चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की ‘सबक सिखाने’ वाली टिप्पणी आचार संहिता का उल्लंघन नहीं है। राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी की रिपोर्ट पर गौर करने और कानूनी राय लेने के बाद EC ने निष्कर्ष निकाला कि ‘उपद्रवियों’ के खिलाफ कार्रवाई करने का जिक्र करना चुनाव संहिता के प्रावधानों का उल्लंघन नहीं था। गुजरात में चुनावी रैली के दौरान शाह ने कहा था कि 2002 की हिंसा के साजिशकर्ताओं को ‘सबक सिखाया’ गया।

amit shahआपको बता दें कि गृहमंत्री के इस बयान को लेकर एक पूर्व नौकरशाह ने पिछले महीने निर्वाचन आयोग का रुख किया था। रैली में शाह ने आरोप लगाया था, ‘गुजरात में कांग्रेस के शासन के दौरान (1995 से पहले) बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक दंगे होते थे। कांग्रेस विभिन्न समुदायों और जातियों के लोगों को एक-दूसरे के खिलाफ लड़ने के लिए उकसाती थी। ऐसे दंगों के जरिए कांग्रेस ने अपने वोट बैंक को मजबूत किया और समाज के एक बड़े वर्ग के साथ अन्याय किया।’ ‘2002 से 2022 तक हिंसा में शामिल होने से किया परहेज’ शाह ने दावा किया था कि गुजरात में 2002 में दंगे हुए थे क्योंकि साजिशकर्ताओं को कांग्रेस से लंबे समय तक समर्थन मिलने के कारण हिंसा करने की आदत लग गई थी।

गौरतलब है कि गुजरात के खेड़ा में चुनावी रैली के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा था, ‘लेकिन 2002 में सबक सिखाने के बाद इन तत्वों ने वह रास्ता (हिंसा का) छोड़ दिया। उन्होंने 2002 से 2022 तक हिंसा में शामिल होने से परहेज किया। भाजपा ने सांप्रदायिक हिंसा में शामिल होने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करके गुजरात में स्थायी शांति स्थापित की है।’ गुजरात में वर्ष 2002 में गोधरा रेलवे स्टेशन पर ट्रेन में आग लगने की घटना के बाद राज्य के कुछ हिस्सों में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी। मालूम हो कि भाजपा को गुजरात की 182 सदस्यीय विधानसभा में 52.5 प्रतिशत मत के साथ 156 सीटें मिलीं। मुख्य विपक्षी कांग्रेस 27 प्रतिशत मतों के साथ 17 सीटों पर सिमट गई तो आप को करीब 13 प्रतिशत मतों के साथ पांच सीटें प्राप्त हुईं हैं।