
पटना। बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव होने जा रहा है। इससे पहले चुनाव आयोग बिहार में सभी वोटरों का वेरिफिकेशन करा रहा है। बीएलओ को घर-घर भेजकर चुनाव आयोग गणना पत्र बंटवाकर उन्हें भरवा रहा है। वहीं, इस गणना पत्र के साथ दस्तावेज मांगे जाने पर विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग के खिलाफ आवाज बुलंद कर रखी है। विपक्षी दलों का आरोप है कि चुनाव आयोग इस गणना के जरिए करोड़ों वोटरों को मतदान से रोकने की कोशिश कर रहा है। ऐसे में चुनाव आयोग ने बिहार के वोटरों को बड़ी छूट दी है। चुनाव आयोग ने बिहार के वोटरों से कहा है कि अगर उनके पास जरूरी दस्तावेज नहीं भी हैं, तो भी गणना पत्र को भरकर जमा कर सकते हैं।
चुनाव आयोग ने इस बारे में बाकायदा अखबारों में विज्ञापन भी जारी किया है। चुनाव आयोग ने कहा है कि जिन गणना पत्रों के साथ दस्तावेज नहीं होंगे, उन पर निर्वाचकर निबंधन पदाधिकारी जांच व अन्य सबूतों के आधार पर फैसला करेंगे। चुनाव आयोग ने कहा है कि अगर वोटर संबंधित जरूरी कागजात जमा करते हैं, तो आसानी होगी। अगर किसी के पास फोटो नहीं है, तो वो बगैर फोटो के भी गणना पत्र भरकर खुद ऑनलाइन या बीएलओ के जरिए जमा करा सकता है। चुनाव आयोग ने कहा है कि साल 2003 के वोटर लिस्ट में जिनका नाम नहीं है, वे जन्मतिथि और जन्मस्थान के दस्तावेज दे। चुनाव आयोग ने बिहार के वोटरों से कहा है कि वे हर हाल में 26 जुलाई तक गणना पत्र भरकर जमा कराएं।
चुनाव आयोग की तरफ से गणना पत्र के साथ दस्तावेज जमा कराने की शर्त में छूट दिए जाने के बाद अब 9 जुलाई को आरजेडी के नेतृत्व में विपक्ष का बिहार में चक्का जाम भी खत्म हो सकता है। तेजस्वी यादव ने शुक्रवार को कहा था कि वोटर लिस्ट के पुनरीक्षण के तरीके के खिलाफ अगले हफ्ते चक्का जाम किया जाएगा। उधर, चुनाव आयोग की तरफ से बिहार में वोटर गणना पत्र के साथ दस्तावेज मांगे जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर), योगेंद्र यादव और टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने याचिका भी दाखिल की है। इस पर सुनवाई से पहले ही चुनाव आयोग ने गणना पत्र के साथ दस्तावेज जमा करने की बाध्यता खत्म की है।