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RBI MPC: लोन लेने वालों को थोड़ी राहत, रिजर्व बैंक के रेपो रेट में बदलाव न करने से नहीं बढ़ेगी EMI

8 फरवरी को रेपो रेट 6.50 फीसदी हो गया था। इससे पहले रिजर्व बैंक ने मई 2022 से रेपो रेट में 2.50 फीसदी की बढ़ोतरी की थी। मई 2022 में रेपो रेट में 0.40 फीसदी, जून 2022 में 0.50 फीसदी, अगस्त 2022 में 0.50 फीसदी, सितंबर में 0.50 फीसदी, दिसंबर 2022 में 0.35 फीसदी और इस साल फरवरी में 0.25 फीसदी बढ़ोतरी की थी।

मुंबई। रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने लोन लेने वालों को इस बार राहत दी है। मौद्रिक नीति की समीक्षा के बाद रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में कोई बदलाव न करने का फैसला किया है। ऐसे में रेपो रेट 6.50 फीसदी ही रहेगी। इससे आपके लोन की ईएमआई में फिलहाल अंतर नहीं आएगा। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने ये एलान किया। दास का कहना है कि महंगाई अभी ज्यादा है। ऐसे में रेपो रेट न घटाने का फैसला किया गया है। बता दें कि ओपेक ने कच्चे तेल का उत्पादन घटाने का फैसला किया है। रूस और यूक्रेन की जंग भी जारी है। इसकी वजह से एक बार फिर महंगाई के बढ़ने के आसार हैं।

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रिजर्व बैंक ने इससे पहले 8 फरवरी को मौद्रिक समीक्षा के बाद रेपो रेट में 25 बेसिस प्वॉइंट की बढ़ोतरी की थी। इससे रेपो रेट 6.50 फीसदी हो गया था। इससे पहले रिजर्व बैंक ने साल 2022 में 5 बार रेपो रेट बढ़ाया था। मई 2022 से उसने रेपो रेट में 2.50 फीसदी की बढ़ोतरी की थी। मई 2022 में रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 0.40 फीसदी, जून 2022 में 0.50 फीसदी, अगस्त 2022 में 0.50 फीसदी, सितंबर में 0.50 फीसदी, दिसंबर 2022 में 0.35 फीसदी और इस साल फरवरी में 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी की थी। इससे महंगाई की दर 7 फीसदी से नीचे आ गई थी। महंगाई की दर की बात करें, तो ये जनवरी 2022 से तीन तिमाही तक लगातार 6 फीसदी के लक्ष्य से ज्यादा रही थी। अक्टूबर 2022 से इसमें कुछ नरमी आई थी।

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अब आपको बताते हैं कि रेपो रेट आखिर होता क्या है। रेपो रेट वो दर है, जिसपर रिजर्व बैंक अन्य बैंकों को कर्ज देता है। इसमें इजाफा होने पर आरबीआई से कर्ज लेने वाले बैंकों को ज्यादा ब्याज चुकाना पड़ता है। ऐसे में उनके पास धन की कमी होती है। बैंकों के पास धन कम होने से आम लोगों के हाथ में भी कैश का फ्लो कम हो जाता है। इससे लोग खरीदारी कम करते हैं और महंगाई की दर नीचे आती है। रेपो रेट में बढ़ोतरी से बैंकों में डिपॉजिट करने वालों को हालांकि फायदा होता है, क्योंकि बैंक सभी तरह के एफडी पर ब्याज की दर भी बढ़ाते हैं। रिजर्व बैंक की तरफ से रेपो रेट बढ़ाए जाने के बाद लगातार बैंक एफडी पर ज्यादा ब्याज देते रहे हैं। पहले जहां बैंक 5.75 फीसदी तक एफडी पर ब्याज दे रहे थे। अब वहीं वे 7 फीसदी और उससे ज्यादा ब्याज एफडी पर दे रहे हैं।