नई दिल्ली। दिल्ली की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी (आप) की मुश्किलें कम होने की जगह बढ़ती जा रही हैं। एक तरफ शराब घोटाला, दवा घोटाला और वैक्सीन घोटाला के आरोप लगे हैं। वहीं, अब सुप्रीम कोर्ट ने ‘फरिश्ते दिल्ली के’ योजना मामले में आम आदमी पार्टी सरकार को चेतावनी दी है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार को कहा है कि अगर उसने फरिश्ते दिल्ली के मामले में कोर्ट को गुमराह किया, तो भारी जुर्माना लगाया जाएगा, जो मिसाल होगा। कोर्ट ने ये चेतावनी उस वक्त दी, जब दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि एलजी के दफ्तर ने योजना के लिए फंड जारी करने में बाधा डाली। वहीं, एलजी की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि उनका इससे कोई लेना-देना नहीं है। योजना के बारे में स्वास्थ्य मंत्री की सोसायटी ही फैसला करती है।
कोर्ट में क्या हुआ, ये आपको बताएंगे। उससे पहले जान लीजिए कि ‘फरिश्ते दिल्ली के’ योजना आखिर है क्या? फरिश्ते दिल्ली के योजना में आप की सरकार ने तय किया है कि अगर दिल्ली में सड़क हादसे में कोई घायल होता है, तो निजी अस्पताल में सरकारी खर्च पर उसका इलाज होगा। केजरीवाल सरकार ने 2018 में ये योजना शुरू की थी। फिर फंड की कमी से योजना बंद कर दी। इसी पर दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की है और आरोप लगाया है कि एलजी के दफ्तर से फंड रिलीज नहीं किया जा रहा।
एलजी की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में ये बात कहे जाने के बाद जस्टिस गवई और जस्टिस मेहता की बेंच ने एलजी के दफ्तर और आम आदमी पार्टी सरकार को 2 हफ्ते में हलफनामा देने के लिए कहा। एलजी के वकील संजय जैन ने कोर्ट में कहा कि ये ऐसा मामला नहीं, जिसमें दिल्ली सरकार और एलजी के बीच कोई मुद्दा हो। संजय जैन ने कहा कि दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री की अध्यक्षता वाली सोसायटी इस योजना को चलाती है। स्वास्थ्य मंत्री की अध्यक्षता में 2 जनवरी को सोसायटी की बैठक हुई और उसमें फंड जारी करने का फैसला भी हुआ। इसी पर कोर्ट ने नाराजगी जताई और दिल्ली की केजरीवाल सरकार को बड़ा जुर्माना लगाने की चेतावनी दे दी। इससे पहले बेंच ने एलजी की तरफ से जवाब न देने पर इसे प्रतिष्ठा का मुद्दा न बनाने को कहा। जिस पर संजय जैन ने कहा कि इस बारे में दाखिल याचिका चाय के प्याले में तूफान का उत्कृष्ट मामला है।