आरएलडी के अध्यक्ष जयंत चौधरी की फाइल फोटो
नई दिल्ली। क्या जयंत चौधरी की राष्ट्रीय लोकदल यानी आरएलडी का इरादा बीजेपी के साथ लोकसभा चुनाव में गठजोड़ का है? चर्चाओं के मुताबिक इस सवाल का जवाब ‘हां’ में है, लेकिन न तो बीजेपी और न ही जयंत चौधरी इस बारे में अभी कोई पत्ते खोल रहे हैं। जयंत चौधरी के बीजेपी के साथ आने के कयासों ने और जोर तबसे पकड़ा है, जब केंद्र की मोदी सरकार की तरफ से उनके दादा और पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने का एलान हुआ है। इस एलान के बाद जयंत चौधरी ने पीएम नरेंद्र मोदी के लिए ‘दिल जीत लिया’ का पोस्ट तो एक्स पर किया, लेकिन शनिवार को संसद भवन परिसर में मीडिया के सवालों को ये कहकर टाल गए कि अभी बीजेपी से गठजोड़ कर एनडीए में आने के बारे में कुछ नहीं कहेंगे। ऐसे में चर्चा अब इसकी है कि शायद बीजेपी की तरफ से आरएलडी को सीटों के ऑफर पर जयंत चौधरी राजी नहीं हैं।
सूत्रों के हवाले से पहले ये खबर आई थी कि बीजेपी ने जयंत चौधरी की आरएलडी को यूपी में 2 सीट ऑफर की हैं। इसके अलावा राज्यसभा की एक सीट, मोदी की अगली सरकार में मंत्री पद और यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्री बनाने का ऑफर आरएलडी को है। जबकि, समाजवादी पार्टी की तरफ से आरएलडी को पहले ही 7 लोकसभा सीटों का ऑफर दिया जा चुका है। ऐसे में अगर बीजेपी कम सीटें यूपी में देने की बात कह रही है, तो जाहिर है जयंत चौधरी काफी सोच विचार कर ही रहे होंगे। हालांकि, ये भी कहा जा रहा है कि सोमवार यानी कल बीजेपी और आरएलडी के बीच गठबंधन का एलान हो जाएगा।
अब यूपी की लोकसभा सीटों पर आरएलडी के प्रदर्शन को भी देख लेते हैं। 1999 में आरएलडी ने लोकसभा चुनाव में यूपी की 7 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन 2 सीटें ही जीतीं। 2004 में समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ा और 3 सीटें हासिल कीं। फिर आरएलडी ने बीजेपी से गठजोड़ कर 2009 का लोकसभा चुनाव लड़ा और 7 में से 5 सीटों पर उसके उम्मीदवार जीते। फिर जयंत चौधरी ने 2014 में कांग्रेस से गठबंधन किया और 8 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारे, लेकिन एक भी नहीं जीता। इसके बाद 2019 में आरएलडी ने समाजवादी पार्टी और बीएसपी के गठबंधन के साथ लोकसभा चुनाव लड़ा। तब 3 सीटों पर उतारे गए सभी प्रत्याशी हार गए। इस तरह देखें, तो जयंत चौधरी की आरएलडी को अब तक बीजेपी के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ने से ही फायदा हुआ है।