नई दिल्ली। सोशल मीडिया पर अक्सर केंद्र सरकार की छवि खराब करने के लिए कोई ना कोई ट्वीट या खबर वायरल होती रहती है। जिसके जरिए सरकार को घेरा जाए और लोगों को भ्रम में रखा जाए। इसी क्रम में एक खबर फैलाई जा रही है कि मोदी सरकार अल्पसंख्यक मंत्रालय (Ministry of Minority Affairs) को लेकर अहम फैसला ले सकती है। दरअसल, अंग्रेजी अखबार डेक्कन हेराल्ड ने ये दावा किया है। अखबार के मुताबिक, सरकार अल्पसंख्यक मंत्रालय का विलय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय (Ministry of Social Justice And Empowerment) के साथ कर सकती है। सोशल मीडिया पर ये खबर खूब तेजी से फैलने लगी कि मोदी सरकार अल्पसंख्यक मंत्रालय खत्म कर सकती है। लेकिन क्या वाकई में डेक्कन हेराल्ड में छपि इस खबर में एकदम सच्चाई है? चलिए इस खबर की सच्चाई से आपको रूबरू करवाते है।
The Govt is likely to scrap the ‘Ministry of Minority Affairs’ established by the UPA government in 2006 and merge it with the ‘Ministry of Social Justice and Empowerment’..! pic.twitter.com/H8AkuaM2mK
— Satya Swara ( Voice of Truth ) (@Satya_Swara) October 3, 2022
फर्जी निकली खबर-
लेकिन जब इस खबर की जांच पड़ताल की गई तो सच्चाई सबके सामने आ गई। पीआईबी फैक्ट चेक में पाया गया कि अखबार में छपी खबर एकदम निराधार है। पीआईबी फैक्ट चेक की माने तो ये खबर गलत है। पीआईबी फैक्ट चेक में बताया कि, डेक्कन हेराल्ड में प्रकाशित एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि केंद्र सरकार अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को खत्म कर सकती है और उसका विलय कर देगी। ये फेक है।
A media report published in @DeccanHerald is claiming that the Central government is likely to scrap the Ministry of Minority Affairs and will merge it with @MSJEGOI#PIBFactCheck
▶️ This Claim is #FAKE
▶️ No such Proposal is under consideration pic.twitter.com/RcTtyzyw59
— PIB Fact Check (@PIBFactCheck) October 3, 2022
आपको बता दें कि 2006 में इस मंत्रालय का गठन तत्कालीन मनमोहन सरकार के वक्त किया गया था। इसके अलावा मुख्तार अब्बास नकवी ने राज्यसभा कार्यकाल खत्म होने के बाद जुलाई में इस्तीफा दे दिया था। फिलहाल महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी इस मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार संभाल रही हैं।