नई दिल्ली। पिछले दो दिन से लगातार विपक्ष ये मुद्दा बना रहा है कि आम लोगों को भी अब घर के किराए पर 18 फीसदी की दर से जीएसटी चुकानी होगी। इसे लेकर मोदी सरकार पर तमाम आरोप लगाए जा रहे हैं कि वो आम आदमी का जीना दूभर कर रही है। विपक्षी कांग्रेस ने भी इस मुद्दे पर ट्वीट्स और बयानों की झड़ी लगा रखी है, लेकिन हकीकत इससे बिल्कुल उलट है। खुद पीआईबी ने किराए पर जीएसटी लगाने के मसले पर फैलाए जा रहे भ्रम को गलत बताया है। पीआईबी के फैक्ट चेक में बताया गया है कि आम लोगों को किराए पर किसी तरह की जीएसटी नहीं देना है।
अब घर के किराए पर भीं गब्बर सिंह टैक्स,
मिडिल क्लास और गरीब जनता रोजाना लगने वाले नए तरह के जीएसटी से तंग आ चुकी हैं।
महंगाई ने कमरतोड़ दी है। pic.twitter.com/TRpIxg7kKC
— Shailendra Choudhary (@shailendra489) August 12, 2022
सरकार के हवाले से बताया गया है कि निजी तौर पर किराए पर घर लेने वाले को कोई जीएसटी नहीं देना होगा। सिर्फ कंपनियां अगर अपने कर्मचारियों के लिए घर लेती हैं, तो उन्हें किराए पर जीएसटी देना होगा। इसके अलावा संगठन और संस्थाएं भी किराए पर घर लेती हैं, तो उन्हें भी किराए के साथ 18 फीसदी जीएसटी चुकाना होगा। जबकि विपक्ष लगातार आरोप लगा रहा है कि हर किराएदार को जीएसटी देना होगा और मोदी सरकार ने आम आदमी पर एक और बोझ डाल दिया है। विपक्ष के इस आरोप पर पीआईबी ने फैक्ट चेक कर क्या बताया है, इसे आप नीचे दिए इस ट्वीट में देख सकते हैं। साफ है कि किसी खास वजह से सरकार के खिलाफ लोगों को भड़काने के लिए इस तरह की बातें फैलाई जा रही हैं।
Claim: 18% GST on house rent for tenants #PibFactCheck
▶️Renting of residential unit taxable only when it is rented to business entity
▶️No GST when it is rented to private person for personal use
▶️No GST even if proprietor or partner of firm rents residence for personal use pic.twitter.com/3ncVSjkKxP— PIB Fact Check (@PIBFactCheck) August 12, 2022
बता दें कि पिछले कुछ समय से मोदी सरकार के खिलाफ कई तरह के झूठ फैलाए जा रहे हैं। ये झूठ भी फैलाने की कोशिश हुई है कि कुछ बड़े उद्योगपतियों को दिया लाखों करोड़ का कर्ज भी माफ कर दिया गया है। जबकि, हकीकत ये है कि उद्योगपतियों को मिला कर्ज माफ नहीं किया गया, बल्कि उसे Write off किया गया है। राइट ऑफ का मतलब माफ करना नहीं होता। इसका मतलब बैंक की ओर से अपनी बैलेंस शीट को ठीक करने के लिए कर्ज की उगाही न जाने वाली रकम को बट्टे खाते में डालना होता है। लोन माफ करने को Waiver कहते हैं।