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No GST On Individual Rent: विपक्षी दलों के एक और झूठ का पर्दाफाश, आपको किराए पर नहीं देना होगा 18% जीएसटी

पिछले कुछ समय से मोदी सरकार के खिलाफ कई तरह के झूठ फैलाए जा रहे हैं। ये झूठ भी फैलाने की कोशिश हुई है कि कुछ बड़े उद्योगपतियों को दिया लाखों करोड़ का कर्ज भी माफ कर दिया गया है। जबकि, हकीकत ये है कि उद्योगपतियों को मिला कर्ज माफ नहीं किया गया, बल्कि उसे Write off किया गया है।

नई दिल्ली। पिछले दो दिन से लगातार विपक्ष ये मुद्दा बना रहा है कि आम लोगों को भी अब घर के किराए पर 18 फीसदी की दर से जीएसटी चुकानी होगी। इसे लेकर मोदी सरकार पर तमाम आरोप लगाए जा रहे हैं कि वो आम आदमी का जीना दूभर कर रही है। विपक्षी कांग्रेस ने भी इस मुद्दे पर ट्वीट्स और बयानों की झड़ी लगा रखी है, लेकिन हकीकत इससे बिल्कुल उलट है। खुद पीआईबी ने किराए पर जीएसटी लगाने के मसले पर फैलाए जा रहे भ्रम को गलत बताया है। पीआईबी के फैक्ट चेक में बताया गया है कि आम लोगों को किराए पर किसी तरह की जीएसटी नहीं देना है।

सरकार के हवाले से बताया गया है कि निजी तौर पर किराए पर घर लेने वाले को कोई जीएसटी नहीं देना होगा। सिर्फ कंपनियां अगर अपने कर्मचारियों के लिए घर लेती हैं, तो उन्हें किराए पर जीएसटी देना होगा। इसके अलावा संगठन और संस्थाएं भी किराए पर घर लेती हैं, तो उन्हें भी किराए के साथ 18 फीसदी जीएसटी चुकाना होगा। जबकि विपक्ष लगातार आरोप लगा रहा है कि हर किराएदार को जीएसटी देना होगा और मोदी सरकार ने आम आदमी पर एक और बोझ डाल दिया है। विपक्ष के इस आरोप पर पीआईबी ने फैक्ट चेक कर क्या बताया है, इसे आप नीचे दिए इस ट्वीट में देख सकते हैं। साफ है कि किसी खास वजह से सरकार के खिलाफ लोगों को भड़काने के लिए इस तरह की बातें फैलाई जा रही हैं।

बता दें कि पिछले कुछ समय से मोदी सरकार के खिलाफ कई तरह के झूठ फैलाए जा रहे हैं। ये झूठ भी फैलाने की कोशिश हुई है कि कुछ बड़े उद्योगपतियों को दिया लाखों करोड़ का कर्ज भी माफ कर दिया गया है। जबकि, हकीकत ये है कि उद्योगपतियों को मिला कर्ज माफ नहीं किया गया, बल्कि उसे Write off किया गया है। राइट ऑफ का मतलब माफ करना नहीं होता। इसका मतलब बैंक की ओर से अपनी बैलेंस शीट को ठीक करने के लिए कर्ज की उगाही न जाने वाली रकम को बट्टे खाते में डालना होता है। लोन माफ करने को Waiver कहते हैं।