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Farmers Protest: जेसीबी और पोकलैंड मशीन आगे न ले जाने का आंदोलनकारियों ने किया फैसला, केंद्र के सख्त रुख के बाद पंजाब पुलिस भी हरकत में आई

Farmers Protest: पंजाब और हरियाणा के बीच शंभु बॉर्डर पर जेसीबी और अन्य भारी उपकरण लेकर किसानों के पहुंचने पर केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय ने सख्त रुख अपनाया था। गृह मंत्रालय ने पंजाब सरकार को चिट्ठी लिखकर कहा कि आंदोलन की आड़ में उपद्रवियों को इकट्ठा होने की छूट दी जा रही है। इ

चंडीगढ़। हरियाणा पुलिस की कानूनी कार्रवाई की चेतावनी के बाद पंजाब और हरियाणा की सीमा पर मौजूद आंदोलनकारी किसानों ने अब जेसीबी और पोकलैंड मशीन वगैरा आगे न ले जाने का फैसला किया है। इसका हरियाणा पुलिस ने स्वागत किया है। हरियाणा पुलिस ने आंदोलकारियों से अब कहा है कि वे ट्रैक्टर-ट्रॉली भी आगे न ले जाएं। इससे पहले किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने एलान किया था कि अब युवा किसान और अन्य लोग आगे नहीं जाएंगे। वो और अन्य किसान नेता दिल्ली की तरफ कूच करेंगे। पंढेर ने कहा था कि भले ही पुलिस कार्रवाई करे, लेकिन वो खाली हाथ रहेंगे। उधर, पंजाब पुलिस भी इस मामले में अब सक्रिय होती दिख रही है। पंजाब पुलिस के अफसर भी शंभु बॉर्डर पर पहुंचे।

पंजाब और हरियाणा के बीच शंभु बॉर्डर पर जेसीबी और अन्य भारी उपकरण लेकर किसानों के पहुंचने पर केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय ने सख्त रुख अपनाया था। गृह मंत्रालय ने पंजाब सरकार को चिट्ठी लिखकर कहा कि आंदोलन की आड़ में उपद्रवियों को इकट्ठा होने की छूट दी जा रही है। इस चिट्ठी के बाद पंजाब पुलिस के डीजीपी ने आदेश जारी किया कि जेसीबी या पोकलैंड जैसी भारी मशीनों को शंभु बॉर्डर तक न जाने दिया जाए। हरियाणा पुलिस ने भी पंजाब पुलिस से आग्रह किया था कि आंदोलन की जगह से इन भारी मशीनों को हटवा ले, ताकि दोनों राज्यों के बीच कानून और व्यवस्था की स्थिति खराब न हो।

बता दें कि आंदोलकारी किसान संगठन एमएसपी की कानूनी गारंटी के अलावा हटने के लिए तैयार नहीं हैं। किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने मांग की है कि खुद पीएम नरेंद्र मोदी इस मसले को सुलझाने के लिए सामने आएं। पंडेर ने ये भी कहा कि किसानों ने भी वोट देकर मोदी सरकार बनवाई है। किसान नेता इसके अलावा स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों को लागू करने, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, किसानों की कर्ज माफी, बिजली की दर में बढ़ोतरी न करने, लखीमपुर खीरी में पीड़ितों के लिए मुआवजे के अलावा जमीन अधिग्रहण कानून 2013 को फिर बहाल करने जैसी मांगें भी कर रहे हैं।