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Farooq On Kashmiri Pandits: कश्मीरी पंडितों पर फारुख अब्दुल्ला का नया पैंतरा, अब केंद्र से रखी ये मांग, पहले कहा था- न्याय न मिलने तक टारगेट किलिंग होंगी

फारुख अब्दुल्ला के ताजा बयान में है कि घाटी में 1990 जैसे हालात बन रहे हैं। अगर इतिहास को देखें, तो फारुख के सीएम रहते ही घाटी में 1990 के दशक से आतंकवाद ने सिर उठाया है। उनके इस्तीफा देने के एक दिन बाद ही श्रीनगर समेत कई जगह कश्मीरी हिंदुओं का नरसंहार भी हुआ था। फारुख उस वक्त लंदन में थे।

श्रीनगर। कश्मीरी पंडितों के मसले पर जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम फारुख अब्दुल्ला ने एक बार फिर पैंतरा बदला है। बीते दिनों फारुख ने कश्मीरी पंडितों की टारगेट किलिंग को न्याय से जोड़ा था। अब उनका कहना है कि पीएम और लेफ्टिनेंट गवर्नर को कदम उठाना चाहिए, वरना कश्मीर घाटी में एक भी पंडित नहीं बचेगा। न्यूज चैनल ‘आज तक’ से फोन पर फारुख बातचीत में मांग की कि कश्मीरी पंडितों के पलायन और टारगेट किलिंग पर सर्वदलीय बैठक बुलाई जाए। उन्होंने कहा कि घाटी में फिर 1990 जैसे हालात बन रहे हैं। फारूख अब्दुल्ला ने इन आरोपों को गलत बताया कि उनके बयानों से आतंकियों के हौसले बुलंद होते हैं।

फारुख से जब ये पूछा गया कि क्या वो कश्मीरी पंडितों के परिवारों से मिलने जाएंगे? इस पर उन्होंने फिर केंद्र सरकार के पाले में गेंद खिसका दी। फारुख अब्दुल्ला ने कहा कि मेरे करने या न करने से कुछ नहीं होगा। केंद्र सरकार को पहले कदम उठाना चाहिए। फारुख का ताजा बयान उनके पिछले दिनों के बयान से उलट है। उस बयान में फारुख ने कहा था कि जब तक पूरा न्याय नहीं मिलेगा, कश्मीरी पंडितों की टारगेट किलिंग की घटनाएं भी बंद नहीं होंगी। इस बयान पर उन्हें बीजेपी ने घेरा भी था। सुनिए फारुख का वो बयान।

फारुख अब्दुल्ला के ताजा बयान में है कि घाटी में 1990 जैसे हालात बन रहे हैं। अगर इतिहास को देखें, तो फारुख के सीएम रहते ही घाटी में 1990 के दशक से आतंकवाद ने सिर उठाया है। उनके इस्तीफा देने के एक दिन बाद ही श्रीनगर समेत कई जगह कश्मीरी हिंदुओं का नरसंहार भी हुआ था। फारुख उस वक्त लंदन में थे। इस मामले में भी हमेशा फारुख घिरते रहे हैं और जब भी इस बारे में कोई सवाल पूछा जाता है, तो वो भड़कते भी देखे गए हैं।