
नई दिल्ली। फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स FATF की एक रिपोर्ट पाकिस्तान के लिए मुश्किल का सबब बन सकती है। एफएटीएफ ने अपनी रिपोर्ट में पाकिस्तान के मिसाइल विकास कार्यक्रम से जुड़ा 2020 का एक मामला बताया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि किस तरह बैलिस्टिक मिसाइल उत्पादन में इस्तेमाल होने वाली दोहरे उपयोग की चीजों को शिपिंग के दस्तावेज में गलत तरीके से दिखाया गया और गैरकानूनी अप्रसार का ये स्रोत पाकिस्तान के नेशनल डेवलपमेंट कॉम्प्लेक्स (एनडीसी) से जुड़ा। न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक एफएटीएफ की रिपोर्ट से पाकिस्तान को फिर से ग्रे लिस्ट में रखने की भारत मांग उठा सकता है। एफएटीएफ की रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत के कांडला बंदरगाह पर भारतीय कस्टम्स ने कार्गो को रोका था। ये कार्गो चीन के जियांगयिन बंदरगार से चला था और कराची के कासिम बंदरगाह पहुंचना था।
भारत ने पाकिस्तान जा रहे जिस कार्गो को रोका, उसमें मिसाइल के मोटर के हिस्से और उच्च ऊर्जा संबंधी वस्तुओं को बनाने में इस्तेमाल होने वाली बड़ी ऑटोक्लेव मशीन भी थी। एफएटीएफ के मुताबिक मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम, भारत और अन्य देशों की तरफ से जारी प्रतिबंधित वस्तुओं की लिस्ट में ये संवेदनशील दोहरे उपयोग की वस्तुएं भी थीं। इस कार्गो के बिल से मशीन को आयात करने वालों और पाकिस्तान के एनडीसी के बीच रिश्ता पता चला। पाकिस्तान का एनडीसी ही लंबी दूरी की मिसाइलों के विकास से जुड़ा है। एफएटीएफ ने पिछले दिनों ही पहलगाम आतंकी हमले की फंडिंग का मसला उठाया था। ऐसे में पाकिस्तान की मुश्किल बढ़ सकती है। अपने बयान में एफएटीएफ ने पहलगाम आतंकी हमले की निंदा करते हुए कहा था कि ऐसे हमले आतंक के समर्थकों के बीच रकम के लेन-देन के बगैर संभव नहीं हैं।
एफएटीएफ की रिपोर्ट से अप्रसार के वित्त पोषण पर भी अंगुली उठती है। इससे साफ होता है कि एक देश (पाकिस्तान) और गैर सरकारी तत्वों के बीच सामूहिक हथियार बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाली दोहरे इस्तेमाल की तकनीकी से दुनिया को भी बड़ा खतरा है। एफएटीएफ ने रिपोर्ट में कहा है कि सामूहिक विनाश के हथियारों का प्रसार और संबंधित वित्तपोषण वैश्विक सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली की अखंडता के लिए बड़ा खतरा है। चीन से जो जहाज दोहरे इस्तेमाल वाली मशीन ले जा रहा था, उस पर हांगकांग का झंडा लगा था। खुफिया जानकारी पर भारतीय कस्टम्स ने जहाज की जांच की। जिसमें करीब 35-40 फिट का दबाव कक्ष मिला। जो बड़ा सा पाइप जैसा था। इसकी जांच के लिए डीआरडीओ के वैज्ञानिक भी बुलाए गए थे।