दुश्मनों की अब खैर नहीं, जल्द देश को मिलने वाली है राफेल की पहली खेप

दुश्मनों को डराने वाली एक खुशखबरी भारत के लिए आई है। फ्रांस से इस साल जुलाई महीने के आखिर तक पहले चार राफेल लड़ाकू विमान भारत आ जाएंगे।

Avatar Written by: May 15, 2020 1:23 pm

नई दिल्ली। पाकिस्तान और चीन लगातार इस संकट काल में भी भारत पर दबाव बनाने की कोशिश में जुटे हैं। अपने आंतरिक मामलों को नहीं संभाल पा रहे पाकिस्तान और चीन लगातार भारतीय सीमाओं में घुसपैठ की करने की फिराक में हैं। लेकिन भारतीय सेना मुस्तैद है। ईंट का जवाब पत्थर से दिया जा रहा है।

rafale air craft

इसी बीच दुश्मनों को डराने वाली एक खुशखबरी भारत के लिए आई है। फ्रांस से इस साल जुलाई महीने के आखिर तक पहले चार राफेल लड़ाकू विमान भारत आ जाएंगे। पहले इन विमानों को भारत मई महीने में ही आना था लेकिन दुनियाभर में फैली कोरोना वायरस महामारी के चलते राफेल की डिलीवरी को दो महीनों के लिए आगे बढ़ा दिया गया। राफेल के आने से भारत की शक्ति और बढ़ जाएगी।

डिफेंस सूत्रों ने एक न्यूज एजेंसी को बताया कि पहले चार विमान जिनमें तीन ट्विन-सीटर ट्रेनर एयरक्राफ्ट और एक सिंगल-सीटर लड़ाकू विमान शामिल हैं, जुलाई के अंत तक अंबाला एयरबेस में पहुंचना शुरू हो जाएंगे। प्रशिक्षकों के पास वायुसेना प्रमुख के सम्मान में आरबी श्रृंखला के टेल नंबर होंगे। आरबी का मतलब आरकेएस भदौरिया से है, जिन्होंने 36 राफेल लड़ाकू विमानों के सबसे बड़े रक्षा सौदे को अंतिम रूप देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

rafale deal

उन्होंने बताया कि पहले विमान को फ्रांसीसी पायलट के साथ-साथ 17 गोल्डन एरो स्क्वाड्रन के कमांडिंग ऑफिसर द्वारा उड़ाए जाने की योजना है। फ्रांस से भारत के रास्ते में विमान में हवा में फ्रांसीसी वायुसेना के टैंकर विमान द्वारा फिर से ईंधन भरा जाएगा।सूत्रों ने न्यूज एजेंसी से कहा, ‘भारत में लैंडिंग से पहले टैंकर विमान द्वारा हवा में ईंधन भरा जाएगा।’

सूत्रों ने कहा कि राफेल सीधे फ्रांस से भारत भी आ सकता था लेकिन एक छोटे कॉकपिट के भीतर 10 घंटे की उड़ान तनावपूर्ण हो सकती थी। सात भारतीय पायलटों के पहले बैच ने भी एक फ्रांसीसी एयरबेस में अपना प्रशिक्षण पूरा कर लिया है, जबकि दूसरा बैच फ्रांस जाएगा। वहीं, बताया जा रहा है कि राफेल की हवा से हवा और हवा से जमीन पर मार करने की क्षमता चीन और पाकिस्तान दोनों के लड़ाकू विमानों से ज्यादा होगी। इस वजह से भारत को दोनों प्रतिद्वंद्वियों से बढ़त मिलेगी।