
नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय ने उन खबरों को गलत बताया है कि 3000 रुपए या उससे ऊपर के यूपीआई लेन-देन पर एमडीआर लगाने की तैयारी है। वित्त मंत्रालय ने बुधवार को एक्स पर इस बारे में पोस्ट कर स्थिति स्पष्ट कर दी। वित्त मंत्रालय ने लिखा कि यूपीआई के लेन-देन पर एमडीआर चार्ज किए जाने की अटकलें और दावे पूरी तरह झूठे, निराधार और भ्रामक हैं। वित्त मंत्रालय ने कहा कि इस तरह की निराधार और सनसनी पैदा करने वाली अटकलें नागरिकों के बीच अनावश्यक अनिश्चितता, भय और शक पैदा करती हैं। वित्त मंत्रालय ने ये भी कहा है कि सरकार यूपीआई के जरिए डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
Speculation and claims that the MDR will be charged on UPI transactions are completely false, baseless, and misleading.
Such baseless and sensation-creating speculations cause needless uncertainty, fear and suspicion among our citizens.
The Government remains fully committed…
— Ministry of Finance (@FinMinIndia) June 11, 2025
दरअसल, एमडीआर के बारे में सोशल मीडिया पर अटकलों और खबरों का दौर मंगलवार से ही शुरू हो गया था। तमाम पत्रकारों ने सूत्रों के हवाले से दावा किया था कि केंद्र सरकार के सामने प्रस्ताव रखा गया है। दावा किया जा रहा था कि 3000 रुपए या उससे ज्यादा के यूपीआई लेन-देन पर एमडीआर लगाया जाएगा। बीते दिनों भी इस तरह के दावों और अटकलों ने जोर पकड़ा था कि जल्दी ही केंद्र सरकार यूपीआई से लेन-देन पर एमडीआर चार्ज लगाएगी। उस वक्त भी सरकार ने इसका खंडन किया था। दरअसल, भारत में यूपीआई के जरिए हर सेकेंड औसतन 7000 लेन-देन होते हैं। इस वजह से एमडीआर लगाए जाने की झूठी खबरें आए दिन सोशल मीडिया पर तैरने लगी हैं।
एमडीआर यानी मर्चेंट डिस्काउंट रेट एक शुल्क है, जो कारोबारियों को क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड और अन्य तरह से डिजिटल भुगतान लेने के लिए इससे संबंधित प्रक्रिया करने वाली कंपनियों को देना होता है। इसे दूसीर भाषा में लेन-देन छूट दर (टीडीआर) के तौर पर भी जाना जाता है। एमडीआर कई कारकों पर निर्भर करता है। मसलन लेन-देन की धनराशि, कार्ड और व्यापारी का प्रकार। केंद्र सरकार ने 1 जनवरी 2020 से सभी रूपे डेबिट कार्ड और यूपीआई लेन-देन पर एमडीआर को खत्म कर दिया था। क्रेडिट कार्ड वगैरा से भुगतान करने पर आम तौर पर कुल राशि का 1 से 3 फीसदी एमडीआर लगता है। एमडीआर का भुगतान कारोबारी करता है और ये डिजिटल तौर पर भुगतान हासिल करने के लिए लागत का एक हिस्सा होता है।