नई दिल्ली। हमारे देश की आन बान और शान तिरंगा है, लेकिन बीते दिनों तिरंगा को लेकर एक विशेष किस्म की चर्चा देखने को मिली थी। अब इस दीर्घावधि चर्चा के उपरांत क्या कुछ नतीजे परिलक्षित हुए हैं। इसके बारे में इस रिपोर्ट में हम आपको बताने जा रहे हैं। दरअसल, कथित तौर पर तिरंगा सिर्फ खादी के कपड़ों से ही बनाया जाता है। विशेषतौर पर सरकारी इमारतों में फहराने हेतु तिरंगा खादी के कपड़ों से ही बनाने की चलन रहा है। लेकिन, विगत दिनों सरकारी व ऐतिहासिक इमारतों पर फहराने हेतु तिरंगे को सभी कपड़ों में ही बनाए जाने की चर्चा शुरू हुई, तो देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस को मिर्ची लग गई।
कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं ने तिरंगा को सभी कपड़ों में बनाए जाने का जहां विरोध किया, तो वहीं तिरंगा को खादी के कपड़े से बनाने की वकालत की, लेकिन यहां विचित्र स्थिति उस वक्त देखने को मिली, जब संप्रग काल के दौरान 2005 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नवीन जिंदल को स्पष्ट करते हुए कहा था कि तिरंगा में खादी के अलावा अन्य कपड़ों का इस्तेमाल करना नेशनल हॉनर एक्ट 1971 और प्रतीक और नाम अधिनियम 1950 का उल्लंघन नहीं है। यही नहीं, गृह मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट कर दिया था कि फ्लैग कॉड ऑफ इंडिया किसी भी वस्त्र में तिरंगा बनाने की इजाजत देता है, लिहाजा किसी विशेष वस्त्रों तक सीमित नहीं रहा जा सकता है।
बहरहाल, इन तमाम स्थितियों से यह स्पष्ट होता है कि फ्लैग कॉड की अज्ञानता की वजह से तिरंगे झंडे को सभी वस्त्रों से बनाए जाने का विरोध किया जा रहा था। लेकिन अब इसे लेकर स्थिति स्पष्ट कर दी गई है। बता दें, इसे लेकर बीते दिनों वाकयुद्ध भी देखने को मिला था। लेकिन, अब इस पूरे प्रकरण में नया मोड़ में सामने आया है। जिसमें किसी भी वस्त्र से तिरंगा बनाने की इजाजत दे दी गई है, जिसका फ्लैग फाउंडेशन ऑफ इंडिया ने स्वागत किया है। बहरहाल, इस कदम से हर घर तिरंगा अभियान को तेजी मिलेगी।