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Kerala: केरल के पूर्व मंत्री केटी जलील ने भारतीय सेना के खिलाफ उगला जहर, POK को लेकर दे दिया बेतुका बयान

नई दिल्ली। चलिए, मान लिया कि भारतीय संविधान आपको अभिव्यक्ति की आजादी के तहत किसी भी मसले पर बेबाकी से राय जाहिर करने की पूरी स्वतंत्रता प्रदान करता है, लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं हो जाता ना कि आप अभिव्यक्ति की आजादी की आड़ में ‘भारतीय सेना’ की आलोचना करने पर आमादा हो जाएंगे …

नई दिल्ली। चलिए, मान लिया कि भारतीय संविधान आपको अभिव्यक्ति की आजादी के तहत किसी भी मसले पर बेबाकी से राय जाहिर करने की पूरी स्वतंत्रता प्रदान करता है, लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं हो जाता ना कि आप अभिव्यक्ति की आजादी की आड़ में ‘भारतीय सेना’ की आलोचना करने पर आमादा हो जाएंगे या देश के संवेदनशील मसलों पर अर्नगल प्रलाप करने पर उतारू हो जाएंगे। अगर आप ऐसा करेंगे तो जाहिर है कि पुलिस- प्रशासन का चाबुक आपके खिलाफ चलेगा और जब यह चले तो मेहरबानी करके चित्कार मत करिएगा, क्योंकि गीता में लिखा हुआ है कि ‘जैसी करनी वैसी भरनी’।

अब आप इतना सबकुछ पढ़ने के बाद मन ही मन सोच रहे होंगे कि आखिर आप ऐसी रौद्रात्मक भूमिका किस संदर्भ में रचा रहे हैं। आखिर माजरा क्या है। आखिर आप कहना क्या चाह रहे हैं। जरा कुछ खुलकर बताएंगे। तो आपको बता दें कि हम यह रोषात्मक भूमिका किसी और के नाम नहीं, बल्कि केरल के पूर्व मंत्री केटी जलील के संदर्भ में रचा रहे हैं। दरअसल, उन्होंने अभिव्यक्ति की आजादी की आड़ लेकर भारतीय सेना के बारे में जिस तरह की टिप्पणी की है, उसे जानकर आप हैरान हो जाएंगे और खुद से यह सवाल पूछने पर मजबूर हो जाएंगे कि आखिर कोई हिंदुस्तानी भारतीय सेना के बारे में ऐसी टिप्पणी कैसे कर सकता है?

 

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दरअसल, केटी जलील ने अपने फेसबुक पर लिखे एक पोस्ट में जम्मू-कश्मीर के लोगों की बदहाली का जिम्मेदारी किसी और को नहीं, बल्कि हिंदुस्तानी सेना को ठहराया है। जी हां… बिल्कुल..सही पढ़ रहे हैं आप…उन्होंने कहा कि , “कश्मीर के चेहरे पर पर्याप्त चमक नहीं है। हर जगह बंदूक के साथ सैनिक। पुलिसकर्मियों के कंधों पर बंदूकें भी होती हैं। आर्मी ग्रीन दशकों से कश्मीर का रंग रहा है। सशस्त्र सैनिकों को हर सौ मीटर पर देखा जा सकता है। सड़क। आम लोगों के चेहरों पर कोई उदासी नहीं थी। ऐसा लगता है कि कश्मीरी लोग हंसना भूल गए हैं।” बता दें कि अभी उनका यह पोस्ट काफी तेजी से वायरल हो रहा है और लोग इस पर अलग-अलग तरह से अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए नजर आ रहे हैं।

पीओके को बताया आजाद कश्मीर

इतना ही नहीं, उन्होंने ना महज हिंदुस्तानी सेना की निंदा की है, बल्कि जिस पीओके को पाकिस्तान से आजादी दिलाने के लिए हमारे सैनिक बर्षों से जंग लड़ते हुए आ रहे हैं, उसे उन्होंने बिना कुछ सोच समझे जाने अपने अर्धज्ञान के आधार पर उन्होंने आजाद पीओके बता दिया है।

अनुच्छेद 370 को लेकर की सरकार की घेराबंदी

इसके साथ ही उन्होंने अनुच्छेद 370 को लेकर केंद्र की मोदी सरकार की घेराबंदी भी की है, जिसमें उन्होंने केंद्र सरकार के उपरोक्त कदम को घाटी के लोगों के लिए अहितकर बताया है। उन्होंने कहा कि “कश्मीर को तीन में काटने के लिए दूसरी मोदी सरकार पर गुस्सा लोगों की अभिव्यक्ति से पढ़ा जा सकता है। अलगाव की भावना कश्मीरी दिल में गहराई से निहित है।” बहरहाल, अभी उनके द्वारा किया गया यह पोस्ट सोशल मीडिया की दुनिया में काफी तेजी से वायरल हो रहा है और लोग उस पर अलग- अलग तरह से अपना रिएक्शन देते हुए नजर आ रहे हैं, लेकिन यहां बड़ा सवाल यह है कि क्या एक भारतीय होने के नाते किसी राजनेता को अपनी सेना पर इस तरह की अमर्यादित टिप्पणी करना शोभा देता है?

Indicted by Lokayukta, Kerala minister K T Jaleel resigns

चलिए, अगर एक पल के लिए मान भी लेते हैं कि एक विपक्षी होने के नाते आपको केंद्र सरकार की आलोचना करने का संवैधानिक अधिकार प्रदान किया गया है, लेकिन इस अधिकार की भी अपनी एक निर्धारित सीमा है, जिसका अनुपालन करने के लिए वह बाध्य हैं और यकीन मानिए यह सीमा हमारे संविधान निर्माताओं ने देश के संविधान की आत्मा को जीवंत करने के लिए निर्धारित की हैं। बहरहाल, अगर केरल के पूर्व मंत्री के उपरोक्त बयान को सियासी चश्मे से देखे, तो यह कहना गलत नहीं होगा कि आगामी दिनों में उन्हें अपने उपरोक्त बयान की वजह से अपने समकक्ष राजनेताओं की ओर से आलोचनाओं का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, अभी तक उनके उपरोक्त बयान के संदर्भ में किसी की भी प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।