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BAPS : ‘नासा से निर्वाण तक’-सांसारिक सुखों और अभूतपूर्व उपलब्धियों को छोड़कर प्रद्युम्न भगत स्वामीनारायण संप्रदाय में दीक्षा ग्रहण कर बने संन्यासी

BAPS : स्वामीनारायण संप्रदाय में दीक्षा ग्रहण करने वाले प्रद्युम्न भगत अब स्वामी केशवसंकल्पदास के रूप में अपना जीवन व्यतीत करेंगे। उनका यह कदम लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनकी कहानी दुनिया भर में पीढ़ियों को आध्यात्मिकता, नम्रता और BAPS (बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामिनारायण संस्था) के माध्यम से मानवता की निःस्वार्थ सेवा के लिए प्रेरित करेगी।

नई दिल्ली। आज कल के दौर में जहां एक तरफ लोग सांसारिक सुखों और भौतिक जरूरतों की चाह में प्रतिस्पर्धा भरा जीवन जीते हुए तमाम तरह की मोह माया से ग्रसित हैं तो वहीं कुछ बिरले लोग ऐसे भी हैं जो कड़ी मेहनत से सफलता प्राप्त करने के बावजूद भौतिक उपलब्धियों को त्यागकर आध्यात्मिकता और भक्ति के रास्ते को अपनाते हुए नि:स्वार्थ सनातन की सेवा में अपना जीवन अर्पित कर देते हैं। ऐसा ही एक उदाहरण हैं-प्रद्युम्न भगत, जिन्होंने नासा जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में लाखों के पैकेज वाली नौकरी और उज्जवल भविष्य को छोड़कर BAPS (बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामिनारायण संस्था) के संन्यासी जीवन में प्रवेश किया।

सांसारिक बंधनों को त्यागकर स्वामीनारायण संप्रदाय में दीक्षा ग्रहण करने वाले प्रद्युम्न भगत अब स्वामी केशवसंकल्पदास के रूप में अपना जीवन व्यतीत करेंगे। उनका यह कदम लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनकी कहानी दुनिया भर में पीढ़ियों को आध्यात्मिकता, नम्रता और BAPS के माध्यम से मानवता की निःस्वार्थ सेवा के लिए प्रेरित करेगी।

न्यूजीलैंड के ऑकलैंड में जन्मे प्रद्युम्न भगत जी उच्च शिक्षित हैं। उन्होंने इलेक्ट्रिकल और रोबोटिक्स इंजीनियरिंग में अटलांटा में उत्कृष्टता प्राप्त की। वह गोल्ड स्कॉलर, मात्र 15 वर्ष की आयु में TEDx वक्ता और दो पेटेंट प्राप्त करने वाले एक नवप्रवर्तक थे। इतना ही नहीं उन्होंने बोइंग के लिए अत्याधुनिक रोबोटिक्स पर भी कार्य किया और इसी के चलते बोइंग तथा नासा जेपीएल जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों ने उनको नौकरी का प्रस्ताव दिया। इन अभूतपूर्व उपलब्धियों के बावजूद, प्रद्युम्न भगत ने एयरोस्पेस और प्रौद्योगिकी में अपने एक उज्जवल भविष्य को छोड़कर एक और भी महान उद्देश्य को अपनाने का निर्णय लिया और संन्यास जैसे कठिन पथ पर चल दिए।

प्रद्युम्न भगत अब, स्वामी केशवसंकल्पदास के रूप में इस दिव्य यात्रा को आगे बढ़ा रहे हैं। उनकी कहानी दुनिया भर में पीढ़ियों को आध्यात्मिकता, नम्रता और BAPS के माध्यम से मानवता की निःस्वार्थ सेवा के लिए प्रेरित करेगी। प्रद्युम्न भगत जी का यह निर्णय हमें यह शक्ति प्रदान करता है कि सच्ची संतुष्टि सांसारिक सफलता से परे है। इस दुनिया में, जहाँ आमतौर पर जीवन में उपलब्धियों को धन और प्रतिष्ठा से जोड़कर देखा जाता है, उन्होंने अपना जीवन BAPS के आध्यात्मिकता, सेवा और नैतिक उत्थान के वैश्विक मिशन को समर्पित कर दिया। यह निर्णय निःस्वार्थता, भक्ति और विश्वास के उच्चतम मूल्यों का प्रतीक है।