
नई दिल्ली। दुनियाभर में फैली कोरोना महामारी को लेकर लोगों को अब बस कोरोना की वैक्सीन का इंतजार है। वैक्सीन के निर्माण को लेकर वैज्ञानिकों की टीम दिन रात मेहनत कर रही है। ऐसे में इन सबके बीच अब जल्द ही कोरोना की वैक्सीन बाजार में आने की उम्मीदें बढ़ गई हैं। बता दें कि सोमवार को जर्मन बायोटेक फर्म ने कहा कि CureVac के प्रायोगिक COVID-19 वैक्सीन ने मनुष्यों में प्रतिरोधक प्रतिक्रिया पैदा कर दी है। वैक्सीन का बड़े पैमाने पर ह्यूमन ट्रायल शुरू करने को लेकर कंपनी जल्द ही कदम उठाने जा रही है। माना जा रहा है कि अगले साल की शुरुआत तक यह वैक्सीन बाजार में आ जाएगी। मुख्य कार्यकारी अधिकारी फ्रांज-वर्नर हास ने एक बयान में कहा, “हम अंतरिम चरण I डेटा से बहुत प्रोत्साहित हैं।” बायोटेक फर्म तथाकथित मैसेंजर आरएनए (mRNA) दृष्टिकोण का उपयोग कर रही है। CureVac ने कहा कि इसका संभावित टीका, जिसे CVnCoV के रूप में जाना जाता है।
कंपनी के मुताबिक जितनी कोविड-19 के एक गंभीर केस के रिकवर होने पर ऐंटीबॉडीज डेवलप होती है उतनी वॉलंटियर्स में बनीं। गौरतलब है कि दुनियाभर में 150 से ज्यादा कोरोना वायरस की वैक्सीन पर काम चल रहा है। इनमें से 10 ऐडवांस्ड स्टेज ह्यूमन क्लिनिकल ट्रायल से गुजर रही हैं। CureVac के मुताबिक, अबतक 250 से ज्यादा लोग फेज 1 स्टडी में शामिल हो चुके हैं। वैक्सीन ने शायद T सेल्स भी जेनरेट की हैं, लेकिन कंपनी ने कहा कि अभी एनालिसिस जारी है। अधिकतर दूसरे इंजेक्शन के बाद वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स देखने को मिले। कंपनी के मुताबिक, थकान, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द और कुछ में बुखार जैसे साइड इफेक्ट्स 24 से 48 घंटों में दूर हो गए।
mRNA ऐसा ही एक प्रयोग है। इस अप्रोच पर आधारित किसी वैक्सीन को आज तक दुनिया में मंजूरी नहीं मिली है। नॉर्मल वैक्सीन शरीर को वायरस या बैक्टीरिया के बनाए प्रोटीन्स को पहचानने और लड़ने के लिए तैयार करती हैं। इसके उलट, mRNA वैक्सीन बॉडी को चकमा देकर उससे खुद ही वायरल प्रोटीन्स बनवाती है। किसी कोशिका में प्रोटीन बनाने की टेम्पलेट की तरह mRNA को इस्तेमाल किया जाता है। ये प्रोटीन्स एकसाथ जुड़कर वायरस नहीं बनते। इम्युन सिस्टम इन प्रोटीन्स को डिटेक्ट करता है और उनके प्रति डिफेंसिव रेस्पांस तैयार करने लग जाता है।