
नई दिल्ली। हल्द्वानी अतिक्रमण मामले में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने फिलहाल हल्द्वानी के बनभूलपुरा इलाके में रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने के हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है। साथ ही कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार और रेलवे को नोटिस को भेजकर जवाब तलब किया है। इसके साथ ही कोर्ट ने सवाल पूछा कि आखिर आप कैसे सात दिनों के अंदर किसी को भी जमीन को खाली करने के लिए कह सकते हैं। आपको जमीन की प्रकृति, अधिकार की प्रकृति, समाधान की शैली, सबकुछ तलाशना होगा। आपको इस पूरे मसले की हर पहलू से जांच करनी होगी। इसके बाद ही किसी नतीजे पर पहुंचना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने हल्द्वानी के बनभूलपुरा इलाके में रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने के हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है। pic.twitter.com/SBK7BY7Y5x
— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 5, 2023
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने जमीन पर रेलवे द्वारा किए जा रहे निर्माण कार्य पर रोक लगाने का निर्देश भी दिया है। अब इस मामले की अगली सुनवाई सात फरवरी को होगी। वहीं, सुप्रीम कोर्ट हाईकोर्ट द्वारा दिए गए फैसले के बारे में बताया कि आखिर कोर्ट ने अपने फैसले में ये नहीं बताया कि यह जमीन किसकी है। यह जमीन रेलवे की है या राज्य सरकार की है। आपको बता दें कि इस जमीन को जहां रेलवे अपना बता रहा है, तो वहीं राज्य सरकार इस पर अपना दावा ठोक रही है। इसके साथ ही इस मसले को लेकर राज्य सरकार सहित अन्य पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया गया है।
इसके साथ ही रेलवे की ओर से पेश एएसजी ने कहा कि ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि क्या रेलवे और राज्य सरकार के बीच जमीन की डिमार्केशन हुई है। उन्होंने कोर्ट ने रेवले एक्ट के तहत लोगों कों जमीन से हटने का निर्देश दिया है, जिसके खिलाफ लोगों की ओर से सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया है। एएसजी ने कहा कि मामले को लेकर कुछ अपीलें लंबित है। जिस पर अभी सुनवाई होनी है। ऐसे में सुनवाई के उपरांत क्या फैसला लिया जाता है। यह देखने वाली बात होगी। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा कि आप भले ही इस जमीन को अपनी बताए। लेकिन लोग यहां आजादी से पहले रहने का दावा कर रहे हैं।
स्कूल, कॉलेज अस्पताल सहित अन्य सामाजिक सुविधाएं संस्थाएं बना ली है। ऐसी स्थिति में भला आप कैसे महज सात दिनों में जमीन खाली करने का निर्देश दे सकते हैं। यह अप्रासंगिक है। वहीं, हल्द्वानी के जिलाधिकारी ने स्पष्ट कर दिया था कि हमें इस मामले में पहले सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार है। इसके बाद ही हम किसी नतीजे पर पहुंच सकते हैं। बहरहाल, अब आगामी दिनों में इस पूरे मसले को लेकर संबंधित पक्षकारों की ओर से क्या कदम उठाए जाते हैं। इस पर सभी की नजर रहेगी।