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Karnataka: सुप्रीम कोर्ट में मामला फंसा तो सामने आया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, हिजाब बैन पर अब कर्नाटक सरकार से कर दी ये अपील
Karnataka: हाईकोर्ट ने क्लास में हिजाब पहनने की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर हिजाब समर्थकों को झटका दे दिया था। इसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा लेकिन एक दिन पहले मामले में सुनवाई के दौरान जजों की राय अलग होने की वजह से कोई फैसला नहीं आ पाया। ऐसे में अभी फिलहाल क्षण संस्थानों में हिजाब पर बैन जारी रहेगा।
नई दिल्ली। इस साल जनवरी महीने में कर्नाटक में एक सरकारी कॉलेज से शुरू हुआ हिजाब विवाद (Hijab Row) खत्म होने की बजाय लगातार बढ़ता जा रहा है। हिजाब पर विवाद तक शुरू हुआ था जब उडुपी के एक सरकारी कॉलेज में कुछ मुस्लिम लड़कियों को हिजाब पहनकर आने नहीं दिया गया। स्कूल मैनेजमेंट ने हिजाब को यूनिफॉर्म कोड का उल्लंघन बताते हुए लड़कियों को रोका तो इसे लेकर प्रदर्शन होने लगे। धीरे-धीरे ये विवाद कर्नाटक की दूसरी जगहों में भी पैर पसारने लगा। आखिर में कर्नाटक सरकार ने विवाद में आगे आते हुए शिक्षण संस्थानों में हिजाब बैन कर दिया। सरकार के इस फैसले के बाद तो ये विवाद अदालत तक पहुंच गया। हिजाब के समर्थन करने वाले सरकार के फैसले के खिलाफ मामले को लेकर कर्नाटक हाईकोर्ट पहुंच गए। हालांकि हाईकोर्ट ने क्लास में हिजाब पहनने की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर हिजाब समर्थकों को झटका दे दिया था। इसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा लेकिन एक दिन पहले मामले में सुनवाई के दौरान जजों की राय अलग होने की वजह से कोई फैसला नहीं आ पाया। ऐसे में अभी फिलहाल क्षण संस्थानों में हिजाब पर बैन जारी रहेगा।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने की सरकार से ये अपील
अब हिजाब में छिड़े इस विवाद के बीच मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (Muslim Personal Law Board) सामने आ गया है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस विवाद को खत्म करने के लिए कर्नाटक सरकार से अपील भी की है। बोर्ड ने कहा है कि कर्नाटक सरकार शिक्षण संस्थानों में हिजाब पहनने पर रोक से जुड़े अपने आदेश को वापस ले ले। सरकार अपना फैसला वापस ले लेगी तो विवाद थम जाएगा। मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने कहा, ‘कर्नाटक सरकार से आग्रह है कि वह हिजाब से जुड़े आदेश को वापस ले। अगर कर्नाटक सरकार यह आदेश वापस ले लेती है तो पूरा विवाद स्वतः खत्म हो जाएगा।’
मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया का नाम लेते हुए कहा कि न्यायमूर्ति धूलिया का आदेश संविधान और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के सिद्धातों के अनुरूप है। उन्होंने लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने और उनकी शिक्षा में आने वाली रूकावटों को कैसे खत्म किया जाए इसपर ध्यान दिया। ऐसे में उनका फैसला स्वागत करने लायक है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि एक दिन पहले इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की राय मामले पर अलग-अलग रही। जस्टिस हेमंत गुप्ता ने जहां मामले में कर्नाटक सरकार के शिक्षण संस्थानों में हिजाब बैन के फैसले को सही ठहराया। तो वहीं, दूसरी तरफ जस्टिस धूलिया ने कहा था कि वो इससे इत्तेफाक नहीं रखते। मुस्लिम लड़कियों को भी शिक्षा का पूरा हक है और किसी आदेश की वजह से उन्हें इससे रोका नहीं जा सकता। अब इस मामले को फैसले के लिए बड़ी बेंच के पास भेजने की सिफारिश की गई है जिसके बाद ये मामला अब 3 जजों की सुप्रीम कोर्ट बेंच सुनेगी।