
नई दिल्ली। तमिलनाडु में पिछले कई दिनों से जारी हिंदी भाषा के विरोध के बीच एक गैर हिंदी भाषी राज्य ने बड़ा फैसला किया है। महाराष्ट्र के स्कूलों में हिंदी भाषा को अनिवार्य कर दिया गया है। प्रदेश की देवेंद्र फडणवीस सरकार ने इस आदेश को लागू करने के लिए गवर्नमेंट रेजोल्यूशन (जीआर) जारी किया है। इसके तहत महाराष्ट्र के सभी मराठी और अंग्रेजी मीडियम स्कूलों में कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों को तीसरी भाषा के रूप में हिंदी को अनिवार्य कर दिया गया है। सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को एकेडमिक सत्र 2025-26 से लागू करने के लिए विस्तृत योजना बनाई है।
महाराष्ट्र सरकार की ओर से बताया गया है कि प्रदेश के इंग्लिश और मराठी मीडिएम वाले स्कूलों में सिर्फ दो भाषाएं पढ़ाई जाती हैं जबकि अन्य मीडिएम वाले स्कूल पहले से ही तीन भाषा फॉर्मूले का पालन किया जा रहा है। राज्य में अंग्रेजी और मराठी अनिवार्य है और वे वही भाषा पढ़ते हैं जो उनकी शिक्षा का माध्यम है। अब तीसरी भाषा के रूप में हिंदी को अनिवार्य करने का निर्णय लिया गया है। सरकार की योजना को सभी कक्षाओं में एक साथ लागू करने की बजाए धीरे-धीरे एप्लाई करेगी। मौजूदा सत्र 2025-26 में कक्षा 1 से हिंदी की पढ़ाई शुरू होगी और सरकार का लक्ष्य है कि 2028-29 शैक्षणिक सत्र तक सभी कक्षाओं में हिंदी पढ़ाई जाने लगे।
फिलहाल मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में कक्षा 1 से 5 के लिए हिंदी को अनिवार्य किया गया है। इसके साथ ही फडणवीस सरकार का लक्ष्य साल 2025 के अंत तक 80 प्रतिशत शिक्षकों को ट्रेनिंग दिलाकर डिजिटल टूल्स में निणुण करना है। बता दें कि केंद्र सरकार की नई शिक्षा नीति के तहत तीन भाषाई फॉर्मूला तैयार किया गया है। इसी को लेकर तमिलनाडु सरकार विरोध पर अड़ी हुई है। सीएम स्टालिन का कहना है कि हिंदी के जरिए बीजेपी स्थानीय भाषाओं को खत्म करना चाहती है।