
वाराणसी। पिछले दिनों इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भारतीय पुरातात्विक संरक्षण विभाग (एएसआई) को वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के वजूखाने में मिली शिवलिंग जैसी आकृति की कार्बन डेटिंग जांच के आदेश दिए थे। अब हिंदू पक्ष पूरे ज्ञानवापी परिसर की एएसआई जांच की मांग करने वाला है। हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन इस मामले में आज वाराणसी के कोर्ट में अर्जी देंगे। विष्णु जैन का कहना है कि ज्ञानवापी परिसर में बहुत से सच हैं, जिनका सामने आना जरूरी है और एएसआई जांच से ही पता चलेगा कि काशी विश्वेश्वर का मंदिर तोड़कर औरंगजेब के जमाने में मस्जिद तामीर हुई थी या नहीं।
#FirstOnTNNavbharat: ‘शिवलिंग’ समेत पूरे ज्ञानवापी परिसर की ASI जांच की मांग, आज हिंदू पक्ष दाखिल करेगा याचिका
एडवोकेट @Vishnu_Jain1 बोले- ‘ज्ञानवापी में बहुत से सच ऐसे हैं जो सामने आना बाकी हैं, इसलिए ASI सर्वे की मांग हो रही है’@spbhattacharya @Ashutos10599574 #GyanvapiCase pic.twitter.com/TE1US20XW3
— Times Now Navbharat (@TNNavbharat) May 16, 2023
बता दें कि इससे पहले वाराणसी के सीनियर जज सिविल डिवीजन ने कोर्ट कमिश्नर को नियुक्त कर ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वे कराया था। इस सर्वे में पता चला था कि ज्ञानवापी मस्जिद में जगह-जगह पुराने हिंदू मंदिर के चिन्ह हैं। यहां तक कि मस्जिद के गुंबद के भीतर मंदिरों में पाए जाने वाले पिरामिड जैसे आकार भी मिले थे। प्राचीन मंदिरों में गुंबद की जगह इसी तरह के आकार के शिखर हुआ करते थे। इसी सर्वे के दौरान वजूखाने से शिवलिंग जैसी आकृति मिली थी। हिंदू पक्ष इसे प्राचीन विश्वेश्वर का शिवलिंग बता रहा है। वहीं, मुस्लिम पक्ष का कहना है कि ये फव्वारा है।
ज्ञानवापी मस्जिद के बारे में हिंदू पक्ष का दावा है कि मुगल बादशाह औरंगजेब के जमाने में काशी विश्वेश्वर का विशाल मंदिर तोड़ दिया गया था। उसी मंदिर के खंडहर पर ज्ञानवापी मस्जिद बनाई गई। मंदिर के मलबे का इस्तेमाल मस्जिद बनाने के लिए किया गया। हिंदू पक्ष अपने दावे के समर्थन में मस्जिद की पिछली दीवार, मस्जिद की तरफ रुख कर स्थापित नंदी की मूर्ति और कई जगह बेल-बूटे होने की बात करता है। मुस्लिम पक्ष ने इस मामले की सुनवाई न करने के लिए 1991 के धार्मिक स्थल एक्ट का हवाला दिया था। इसे वाराणसी के जिला जज पहले ही खारिज कर चुके हैं।