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Anand Mohan: बाहुबली आनंद मोहन की रिहाई के मसले ने पकड़ा तूल, नीतीश सरकार पर भड़के आईएएस एसोसिएशन और मृत अफसर की पत्नी

1994 में दुर्दांत गैंगस्टर छोटन शुक्ला की हत्या हुई थी। तब आनंद मोहन मुजफ्फरपुर जिले में उसकी शवयात्रा में गए थे। उसी वक्त कृष्णैया वहां से गुजर रहे थे। आनंद मोहन के उकसाने पर भीड़ ने कृष्णैया की हत्या की थी। इसी मामले में साल 2007 में आनंद मोहन को फांसी की सजा हुई थी। जिसे हाईकोर्ट ने उम्रकैद में बदला था।

नई दिल्ली। एक आईएएस अफसर की हत्या के मामले में बिहार में बाहुबली आनंद मोहन को सजा से पहले नियमों में बदलाव कर जेल से छोड़ने का मामला तूल पकड़ रहा है। सत्तारूढ़ महागठबंधन के नेता कह रहे हैं कि आनंद मोहन को नियमों के तहत छोड़ने का फैसला हुआ। वहीं, अब आईएएस एसोसिएशन ने भी इस मामले में बिहार सरकार के कदम की निंदा की है। एसोसिएशन ने कहा है कि आनंद मोहन को रिहा करने का फैसला निराश करने वाला है। एसोसिएशन ने कहा है कि आईएएस जी. कृष्णैया की आनंद मोहन ने जघन्य हत्या की थी। बिहार सरकार को जल्द से जल्द इस फैसले को वापस लेना चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता, तो ये न्याय से वंचित करने के समान होगा। ऐसे फैसले से लोकसेवकों के मनोबल में भी गिरावट आती है।

आईएएस जी. कृष्णैया की पत्नी उमा ने भी बयान दिया है। उन्होंने कहा कि पहले इस मामले में आनंद मोहन को फांसी की सजा हुई। फिर उसे उम्रकैद में बदल दिया गया। उमा ने कहा कि अब राजपूत वोटों के लिए बाहुबली नेता को छोड़ा जा रहा है। हुआ दरअसल ये है कि बिहार की नीतीश सरकार ने जेल अधिनियम में बदलाव कर दिया। नियम 481-आई में बदलाव करने से उम्रकैद की सजा काट रहे आनंद मोहन को जेल से रिहा किया जाएगा। वरना 14 साल की सजा काट चुके आनंद मोहन की रिहाई नहीं होती। जेल अधिनियम में कई अपवाद थे। इनमें से ये भी था कि ड्यूटी करते वक्त सरकारी सेवक की हत्या के मामले में दोषी को पहले नहीं छोड़ा जा सकेगा। इसी अपवाद में इस साल 10 अप्रैल को नीतीश सरकार ने बदलाव किया है। आनंद मोहन के बेटे के एनगेजमेंट पर नीतीश और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव समेत तमाम नेता गए थे।

जी. कृष्णैया दलित आईएएस थे। उनके पिता कुली थे। मौजूदा तेलंगाना के रहने वाले कृष्णैया बिहार के गोपालगंज में डीएम थे। 1994 में दुर्दांत गैंगस्टर छोटन शुक्ला की हत्या हुई थी। तब आनंद मोहन मुजफ्फरपुर जिले में उसकी शवयात्रा में गए थे। उसी वक्त कृष्णैया वहां से गुजर रहे थे। आनंद मोहन के उकसाने पर भीड़ ने कृष्णैया की हत्या की थी। इसी मामले में साल 2007 में आनंद मोहन को फांसी की सजा हुई थी। 2008 में पटना हाईकोर्ट ने फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था। अब आनंद मोहन को उम्रकैद की जगह जेल से रिहा किया जा रहा है।