
नई दिल्ली। राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह की तैयारियां जोरों पर हैं, इस बीच इसके समय और पीएम मोदी द्वारा प्राण प्रतिष्ठा किए जाने को लेकर भी खूब सियासत हो रही है। इस बीच शंकराचार्य द्वारा उठाए गए प्रश्न भी चर्चाओं में हैं। हाल ही में बबन लक्ष्मणराव मस्के द्वारा श्रीवल्लभराम शालिग्राम साङ्गवेद विद्यालय को एक पात्र लिखकर कुछ प्रश्न पूछे गए थे, इसमें राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के समय और शिखर के पूर्ण हुए बिना प्राण प्रतिष्ठा किए जाने को लेकर प्रश्न पूछे थे.. इसपर श्रीवल्लभराम शालिग्राम साङ्गवेद विद्यालय की तरफ से उनके सभी प्रश्नों का उत्तर दिया गया है..आपको बता दें कि पंडित गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने रामलला के प्राण प्रतिष्ठा का जो 22 जनवरी 2024 का मुहूर्त निकाला है वो सर्वोत्तम मुहूर्त है। यदि इस दिन यह कार्य संपन्न नहीं हुआ तो फिर जून 2026 तक अर्थात अगले ढाई वर्षो तक कोई ऐसा मुहूर्त नहीं मिल पा रहा है जो इस मुहूर्त की तुलना में अधिक शुभ हो।
बबन लक्ष्मणराव मस्के ने पत्र में क्या पूछा था ?
दिनांक 22 जनवरी 2028 पौष शुक्ल 12 सोमवार को मेषलग्न में वृश्चिक नवांश में अभिजित मुहूर्त में अयोध्या में रामजन्मभूमि स्थान पर श्रीरामजी के नूतन मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है, जिसका मुहूर्त आपने दिया है। कुछ लोगों का कहना है कि मंदिर में अभी शिखर का कार्य पूर्ण नहीं हुआ है तथा 22 जनवरी के पूर्व भी विजयादशमी किंवा बलिप्रतिपदा के दिन प्रतिष्ठा हो सकती थी तथा 22 जनवरी 2024 के बाद रामनवमी के दिन किंवा उसके आगे भी किसी अच्छे मुहूर्त में रामप्रतिष्ठा हो सकती थी। 22 जनवरी 2018 को जान बूझकर प्रतिष्ठा का मुहूर्त निकाला गया है। ऐसी स्थिति में मुख्य रूप से दो प्रश्न उपस्थित होते हैं।
(1) क्या शिखर का कार्य पूर्ण न होने की स्थिति में राममंदिर में मंदिर अधूरा रहने पर श्रीरामजी की प्रतिष्ठा शास्त्रसंमत है?
(2) 22 जनवरी 2024 को छोड अन्य मुहूर्त क्यों नहीं लिया गया ?
कृपया इन दोनों प्रश्नों का उत्तर देने की कृपा करें।
इसपर प्रश्न का उत्तर देते हुए श्रीवल्लभराम शालिग्राम साङ्गवेद विद्यालय द्वारा लिखा गया
हरिभक्तिपरायण बबन लक्ष्मणराव मस्के महोदय को सादर निवेदन, अयोध्या के राममन्दिर की प्रतिष्ठा के विषय में आपने दि० 11/01/2024 के पत्र में 2 प्रश्न पूछे हैं। उनका क्रमश : उत्तर लिखा जा रहा है।
प्रथम प्रश्न – स्थिति में क्या शिखर का कार्य पूर्ण न होने की राममन्दिर में मन्दिर अधूरा रहने पर श्री रामजी की प्रतिष्ठा शास्त्रसम्मत है ?
प्रथम प्रश्न का उत्तर
देवमन्दिर की प्रतिष्ठा दो प्रकार से होती है
(1) सम्पूर्ण मन्दिर बन जाने पर तथा
(2) मन्दिर में कुछ काम शेष रहने पर भी।
जहाँ पर सम्पूर्ण मन्दिर बन जाने पर देवप्रतिष्ठा होती है वहाँ गर्भगृह में देवप्रतिष्ठा होने पर मन्दिर के ऊपर कलाप्रतिष्ठा संन्यासी के द्वारा की जाती है। कलशप्रतिष्ठा गृहस्थ के द्वारा नहीं होती। गृहस्थ के द्वारा कलश प्रतिष्ठा होने पर वंशक्षय होता है। मन्दिर का पूर्ण निर्माण हो जाने पर देवप्रतिष्ठा के साथ मन्दिर के ऊपर कलशप्रतिष्ठा होती है। जहाँ पर मन्दिर पूर्ण नहीं बना रहता वहाँ देवप्रतिष्ठा के बाद मन्दिर का पूर्ण निर्माण होने पर किसी शुभदिन में उत्तम मुहूर्त में मन्दिर के ऊपर कलशप्रतिष्ठा होती है। अतएव वैदिक मूर्धन्य श्री अण्णाशास्त्री वारे महोदय द्वारा निर्मित ‘कर्मकाण्ड प्रदीप’ ग्रन्थ में पत्र 336 – में इति व्रतोद्यापन – बद्द्व्यहःसाध्यः सर्वदेवप्रतिष्ठा प्रयोगः समाप्तःग के बाद अथ कलशारोपणविधिः” से आरम्भ कर इति प्रतिष्ठासारदीपिकोक्त : कलशारोपणविधिः” तक स्वतन्त्र रूप से कलशारोपण विधि दी गयी है। पाचरात्रागम में 22 जनवरी 2024 पौष शुक्ल दादशी सोमवार मृगशीर्ष नक्षत्र के दिन सर्वोत्तम मुहूर्त है इसकारण उसे लिया गया । 22 जनवरी 2024के पूर्व विजयादशमी के दिन गुण – वत्तर लग्न नहीं मिलता। गुरु नक्री होने से दुर्बल है। बलिप्रतिपदा को मंगलवार है। यह वार गृहप्रदेश में निषिद्ध है। अनुराधानक्षत्र में घटनाक्र की शुद्धि नहीं है। अग्निवाण भी है। अग्निवाण में मन्दिर में मूर्तिप्रतिष्ठा होने पर आग लगकर हानि होती है।
24 जनवरी 2024 पौष शुक्ल पूर्णिमा को मृत्युवाण है। मृत्युषाण में प्रतिष्ठा होने पर लोगों की मृत्यु हो सकती है। 8 माघ – फाल्गुन में कहीं वाण शुद्धि नहीं मिलती तो कहीं पक्षशुद्धि नहीं मिलती तथा कहीं नियादि की शुद्धि नहीं मिलती। माघ शुक्ल आदि में गुरु कर्कोश (जखांश) का नहीं है। अर्थात् मन्दिर जबतक नहीं ढका जाता और वहाँ वास्तुशान्ति जबतक नहीं होती तथा उसमें देवताओं को यथायोग्य मायभक्त बलि एवं पायसवाल नहीं दी जाती तथा वास्तुशान्ति का अङ्गभूत ब्राह्मणभोजन जबतक नहीं होता तबतक मन्दिर में देवप्रतिष्ठा नहीं हो सकती । लोकव्यवहार में एक मंजिल (भवन) बनने पर भी वास्तु शान्ति करके लोग गृहप्रवेश करते हैं। बाद में गृह का ऊपरी भाग बनता है। अतः पूर्ण भवन बनने पर ही वास्तू प्रवेश होगा ऐसा नहीं कहा जा सकता | देवमन्दिर देवगृह है, अतः उसमें उक्त नियम लागू हो प्रस्तुत अयोध्या के राममन्दिर में प्रतिष्ठा के पूर्व वास्तुशान्ति, बलिदान एवं ब्राह्मणभोजन होने वाला है। मन्दिर के दरवाजे लग गये हैं। गर्भगृह पूर्ण रूप से शिलाओं द्वारा ढका गया है। अत : उसमें रामप्रतिष्ठा करने में कोई दोष नहीं है। मन्दिर का काम पूर्ण होने पर कर्मकाण्ड प्रदीप में उद्धृत प्रतिष्ठासार दीपिकोक्त कलशारोपणविधि के अनुसार कमशारोपण होगा |
द्वितीय प्रश्न 22 जनवरी 2024 को छोड़ अन्य – मुहूर्त क्यों नहीं लिया गया ?”
पूर्व में आनन-फानन में जो मुहूर्त लोगों ने दिया उसमें कुछ कमी भी इसी कारण मन्दिर तोड़े गये। अतः सभी बातों को ध्यान में रखकर २२ जनवरी २०२४ को प्रतिष्ठा का मुहूर्त दिया गया है। इसमें लग्नस्थ गुरु की दृष्टि पश्चम, सम्म एवं नवम पर होने से मुहूर्त उत्तम है। मकर का सूर्य हो जाने से पौषमाप्त का वर्ज्यत्व (दोषो समाप्त हो जाता है। भगवान् की कृपा से, गुरुजनों के आशीर्वाद से उपर्युक्त उत्तम मुहूर्त मिला है / अधकचरे लोगों द्वारा बिना प्रमाण के प्रश्न उपस्थापित एवं प्रचारित किये जाते हैं उनमें कोई तत्व नहीं है।