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Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस किया जारी, माल के प्रवेश पर टैक्स का है मामला

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसका मानना है कि इस मामले में शामिल मुद्दे पर गौर करना चाहिए। बेंच ने याचिकाकर्ताओं को अंतरिम राहत देते हुए ये निर्देश भी दिया कि 22 अप्रैल को होने वाली सुनवाई तक उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कदम नहीं उठाया जाएगा। सैमसंग इंडिया समेत कई कंपनियों ने पश्चिम बंगाल में प्रवेश कर से संबंधित कर न्यायाधिकरण के आदेशों को चुनौती देते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट में भी अर्जी दी थी। वहां से राहत न मिलने पर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।

नई दिल्ली। सैमसंग इंडिया बनाम पश्चिम बंगाल सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वो पश्चिम बंगाल वित्त अधिनियम 2017 से संशोधित स्थानीय क्षेत्रों में माल के प्रवेश पर पश्चिम बंगाल कर अधिनियम 2012 की संवैधानिक वैधता की जांच के साथ ही संबंधित नियमों और अधिसूचनाओं को भी देखेगा। जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की बेंच ने अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक समूह के लिए नोटिस जारी कर पश्चिम बंगाल सरकार से 22 अप्रैल 2025 तक जवाब मांगा है । पश्चिम बंगाल के वित्त अधिनियम के जरिए प्रवेश कर अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों को पूर्वव्यापी प्रभाव से संशोधित किया गया था।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसका मानना है कि इस मामले में शामिल मुद्दे पर गौर करना चाहिए। बेंच ने याचिकाकर्ताओं को अंतरिम राहत देते हुए ये निर्देश भी दिया कि 22 अप्रैल को होने वाली सुनवाई तक उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कदम नहीं उठाया जाएगा। सैमसंग इंडिया समेत कई कंपनियों ने पश्चिम बंगाल में प्रवेश कर से संबंधित कर न्यायाधिकरण के आदेशों को चुनौती देते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट में भी अर्जी दी थी। उन्होंने कलकत्ता हाईकोर्ट से घोषित करने की मांग की थी कि सामान का निर्यात किए जाने के कारण पश्चिम बंगाल सरकार स्थानीय क्षेत्रों में माल के प्रवेश पर कर लगाने की अधिकारी नहीं है। कलकत्ता हाईकोर्ट की सिंगल जज बेंच ने 2013 में एक्ट को इस आधार पर रद्द किया था कि प्रतिपूरक कर विशिष्ट और पहचान योग्य उद्देश्यों के लिए लगाया जाता है और बंगाल का एक्ट संविधान के अनुच्छेद 309 और 304(ए) का उल्लंघन करता है।

calcutta high court

पश्चिम बंगाल सरकार ने सिंगल बेंच जज के फैसले के खिलाफ बड़ी बेंच में अपील की थी। जिसने पहले दिए फैसले पर रोक लगाई थी। अपीलों के लंबित रहने के दौरान और 101वें संविधान संशोधन 2016 के बाद पश्चिम बंगाल सरकार ने प्रवेश कर अधिनियम में पहले से हुए संशोधन पेश करते हुए वित्त अधिनियम को लागू किया। इस मामले में सैमसंग इंडिया ने तर्क दिया कि 101वां संविधान संशोधन के तहत राज्य विधानमंडल को प्रवेश कर अधिनियम में किए गए संशोधन को वैध बनाने के लिए अपेक्षित विधायी ताकत नहीं है। कलकत्ता हाईकोर्ट ने फिर सिंगल जज बेंच के फैसले को खारिज कर दिया और प्रवेश कर अधिनियम के साथ-साथ 2017 के संशोधन को बरकरार रखा। इसके बाद सैमसंग और अन्य कंपनियों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की। पश्चिम बंगाल के वकील राकेश द्विवेदी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि ये मुद्दा तेलंगाना राज्य बनाम तिरुमला कंस्ट्रक्शन में सुप्रीम कोर्ट के फैसले और जिंदल स्टेनलेस स्टील लिमिटेड और अन्य बनाम हरियाणा राज्य और अन्य में 9 जजों की बेंच के फैसले के जरिए काफी हद तक कवर किया गया था।