नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली और मुंबई स्थित बीबीसी कार्यालय में आयकर विभाग के अधिकारी पहुंचे तो सियासी गलियारों में चर्चागोशियों का बाजार गुलजार हो गया। विपक्षी दल बीजेपी पर हमलावर हो गए। कांग्रेस ने आयकर विभाग की कार्रवाई को अघोषित आपातकाल बताया। उधर, आयकर विभाग की कार्रवाई को बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री प्रकरण से भी जोड़ दिया गया है। कहा जाने लगा कि केंद्र सरकार की ओर से प्रतिशोधात्मक रुख अख्तियार करते हुए जांच एजेंसी का मीडिया संस्थान के खिलाफ बेजा इस्तेमाल किया जा रहा है। उधर, एडिटर्स गिल्ड ने भी बयान जारी कर स्पष्ट कर दिया है कि प्रेस की स्वतंत्रता पर किसी भी प्रकार का कुठाराघात उचित नहीं है। वहीं, अब इस पूरे मसले को लेकर आयकर विभाग ने बयान जारी किया है। आइए, आपको बताते हैं कि आयकर विभाग ने क्या कहा है।
दरअसल, इस पूरे मसले को लेकर आयकर विभाग ने बयान जारी कर पहले तो यह स्पष्ट कर दिया है कि यह रेड या छापेमारी नहीं, बल्कि सर्वे है। एजेंसी ने बयान में कहा कि बीबीसी की वित्तीय स्थिति का आकलन करने के लिए यह एक प्रकार का रूटीन सर्वे है। आयकर विभाग ने अपने बयान में कहा कि कई बार बीबीसी को इस संदर्भ में नोटिस जारी किया गया था, लेकिन जब कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई, तब जाकर सर्वे किए जाने का फैसला किया गया। उधर, यह सर्वे अंतरराष्ट्रीय कर में बीबीसी द्वारा कथित तौर पर बरती गई अनियमितता के मामले में की गई है। इस सर्वे का ध्येय वित्तीय आय के स्रोतों में आए फेरबदल का आकलन करना है।
आयकर विभाग ने बयान जारी कर कहा कि बीबीसी ने लाभांश आवंटन करने में भी अनियमितता बरती है, जिसे देखते हुए जांच एजेंसी ने यह कदम उठाया है। बहरहाल, आईटी विभाग द्वारा की गई इस कार्रवाई का विरोध किया जा रहा है। सियासी गलियारों में इस पर अलग-अलग तरह से प्रतिक्रिया सामने आ रही हैं। हालांकि, अभी तक इस संदर्भ में बीबीसी की ओर से कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। अब ऐसे में यह पूरा माजरा आगामी दिनों में क्या रुख अख्तियार करता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।