![भारत की आपत्ति दरकिनार कर नेपाल ने विवादित नक्शा किया पास, राष्ट्रपति ने भी दी मंजूरी](https://hindi.newsroompost.com/wp-content/uploads/2020/06/Bidya-Devi-Bhandari-Nepali-President.jpg)
नई दिल्ली। भारत की आपत्ति को दरकिनार करते हुए पहले तो नेपाल के दोनों सदनों से विवादित नक्शे को पास करा दिया गया। जिसमें भारत की तरफ पड़ने वाली लिपुलेख, लिम्पियाधुरा और कालापानी को नेपाल ने अपना बताया है। अब नेपाल की राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने गुरुवार को उस संविधान संशोधन बिल को मंजूरी दे दी, जिसके जरिये नेपाल अपना नया नक्शा जारी कर रहा है।
आपको बता दें इस विवादित नक्शे में भारत के तीन क्षेत्रों को नेपाल अपना हिस्सा बता रहा है। भारत के कड़े विरोध के बावजूद नेपाल की संसद ने उस नए राजनीतिक नक्शे को अद्यतन करने के लिए संविधान में गुरुवार को संशोधन कर दिया, जिसमें रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण भारत के तीन क्षेत्रों को शामिल किया गया है।
गुरुवार सुबह नेपाली संसद के उच्च सदन से संविधान संशोधन विधेयक को मंजूरी मिलने के बाद नेपाल की राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने हस्ताक्षर कर इसे संविधान का हिस्सा घोषित कर दिया। इसी के साथ ही हिमालयी राज्य के नक्शे में आज से परिवर्तन कानूनी रूप से लागू हो गया है।
नेपाल की संसद के उच्च सदन नैशनल असेंबली ने देश के विवादित राजनीतिक नक्शे को मंजूरी देने के दौरान सत्ताधारी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी ने भारत पर जमीन को अवैध रूप से कब्जा करने का आरोप लगाया। संसदीय दल के नेता दीनानाथ शर्मा ने कहा कि भारत ने लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा पर अवैध रूप से कब्जा किया है और उसे नेपाली जमीन को लौटा देना चाहिए।
नेपाल के नए नक्शे के समर्थन में नैशनल असेंबली में 57 वोट पड़े और विरोध में किसी ने वोट नहीं डाला। इस तरह से यह विधेयक सर्वसम्मति से नैशनल असेंबली से पारित हो गया। नैशनल असेंबली में वोटिंग के दौरान संसद में विपक्षी नेपाली कांग्रेस और जनता समाजवादी पार्टी- नेपाल ने संविधान की तीसरी अनुसूची में संशोधन से संबंधित सरकार के विधेयक का समर्थन किया। बता दें कि नेपाल की निचली सदन पहले ही इस बिल को पूर्ण बहुमत से मंजूरी दे चुकी है। वहां भी विरोध में एक भी वोट नहीं पड़ा था।
भारत के साथ सीमा गतिरोध के बीच इस नए नक्शे में लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को नेपाल ने अपने क्षेत्र में दिखाया है। कानून, न्याय और संसदीय मामलों के मंत्री शिवमाया थुम्भांगफे ने देश के नक्शे में बदलाव के लिए संसद में संविधान संशोधन विधेयक पर चर्चा के लिए इसे पेश किया था। इस नए नक्शे में नेपाल ने लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा के कुल 395 वर्ग किलोमीटर के भारतीय इलाके को अपना बताया है। भारत ने नेपाल के इस कदम पर आपत्ति जताते हुए नक़्शे को मंजूर करने से इनकार किया है और कहा है की यह सिर्फ राजनीतिक हथियार है जिसका कोई आधार नहीं है।
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नई दिल्ली में खुफिया सूत्रों ने कहा कि हिमालयी गणराज्य नेपाल में युवा चीनी राजदूत होउ यानकी नेपाल की सीमा को फिर से परिभाषित किए जाने के लिए कॉमरेड ओली के कदम के पीछे एक प्रेरणादायक कारक रही हैं। यानी नेपाल जो भारत के उत्तराखंड राज्य के हिस्सों को अपने नक्शे में दर्शा रहा है, उसके पीछे चीनी राजदूत की ही कूटनीति और दिमाग काम कर रहा है।
सूत्रों ने कहा कि पाकिस्तान में तीन साल तक काम कर चुकीं होउ का ओली के कार्यालय और निवास में लगातार आना-जाना लगा रहता है। इसके अलावा नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी का वह प्रतिनिधिमंडल, जो राजनीतिक मानचित्र को बदलने के लिए द्वितीय संविधान संशोधन विधेयक का मसौदा तैयार करने में सहायक था, वह चीनी राजदूत के संपर्क में था।
बीजिंग के विदेश नीति के रणनीतिकारों के इशारे पर काम कर रही युवा चीनी राजदूत को नेपाल में सबसे शक्तिशाली विदेशी राजनयिकों में से एक माना जाता है। एक खुफिया रिपोर्ट में कहा गया है, पाकिस्तान में सेवा करने के अलावा, वह चीन के विदेश मंत्रालय में एशियाई मामलों के विभाग में एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभाल रही थीं।