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Turkiye Earthquake: एनडीआरएफ की 2, 1 मेडिकल टीम और साज-ओ-सामान, जानिए किस तरह भूकंप से तबाह तुर्किए की मदद कर रहा भारत

जानकारी के मुताबिक तुर्किए में सरकारी सूत्रों ने मीडिया को बताया है कि 4500 से ज्यादा लोग मारे गए हैं। 10 हजार से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। करीब 4000 रिहायशी बिल्डिंग भूकंप से पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी हैं। तुर्किए के पड़ोसी देश सीरिया में भी भूकंप से बड़ी तबाही होने की खबर है। हालांकि, यहां से भूकंप का केंद्र दूर होने की वजह से ज्यादा लोगों की जान नहीं गई है।

तुर्की भेजे गए विमान के अंदर का दृश्य।

नई दिल्ली। भूकंप से प्रभावित तुर्किए की मदद के लिए सबसे पहले भारत आगे आया। भारत की तरफ से तुर्किए की मदद के लिए तमाम साज-ओ-सामान लेकर एनडीआरएफ की दो टीमें भेजी गई हैं। इन टीमों के साथ खोजी कुत्तों का दस्ता भी है। मलबे में फंसे लोगों को निकालने में एनडीआरएफ की टीमें मदद करेंगी। इन टीमों के अलावा विशेष विमान से भारत ने एक मेडिकल टीम भी भेजी है। वो आपदा प्रभावित लोगों की चिकित्सा में हाथ बंटाएगी। विशेष विमान से दवाइयां, टेंट जैसी जरूरी चीजें भी भारत ने तुर्किए को भेजी हैं। सोमवार को तुर्किए में आए विनाशकारी भूकंप ने प्रभावित इलाकों में हाहाकार मचा दिया है।

turkiye earthquake 1

अब तक की जानकारी के मुताबिक तुर्किए में सरकारी सूत्रों ने मीडिया को बताया है कि 4500 से ज्यादा लोग मारे गए हैं। 10 हजार से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। करीब 4000 रिहायशी बिल्डिंग भूकंप से पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी हैं। जगह-जगह मलबे का अंबार दिख रहा है। इसी मलबे के नीचे हजारों लोगों के दबे होने की आशंका है। ठंड के मौसम और लगातार आ रहे भूकंप के झटकों की वजह से तुर्किए में प्रभावित लोगों की मदद में भी बाधा पहुंचने की खबर है। सोमवार को तुर्किए में तीन बार बड़े भूकंप के झटके लगे। ये भूकंप रिक्टर स्केल पर 6.8 से लेकर 7.8 तीव्रता के दर्ज हुए हैं।

तुर्किए के पड़ोसी देश सीरिया में भी भूकंप से बड़ी तबाही होने की खबर है। हालांकि, यहां से भूकंप का केंद्र दूर होने की वजह से ज्यादा लोगों की जान नहीं गई है। सीरिया के सरकारी सूत्रों के मुताबिक वहां अब तक 1900 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। पीएम नरेंद्र मोदी ने तुर्किए के साथ ही सीरिया की भी हर संभव मदद करने का एलान किया था। दिक्कत ये है कि सीरिया में जो इलाका भूकंप से प्रभावित हुआ है, वहां आईएसआईएस आतंकी संगठन के लोगों का ज्यादातर हिस्से में कब्जा है। ऐसे में प्रभावितों तक राहत पहुंचाने की राह में ये बड़ी बाधा है।