नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक ने सोमवार को अपनी वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट का दिसंबर 2024 का संस्करण जारी किया। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था लचीलापन और स्थिरता का प्रदर्शन कर रही है। आरबीआई ने भारत की जीडीपी के 2024-25 में 6.6% की दर से बढ़ने का अनुमान लगाया है। रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रामीण खपत में सुधार, सरकारी खपत और निवेश में तेजी, और मजबूत सेवा निर्यात जैसे कारक इस वृद्धि में योगदान देंगे।
शिड्यूल्ड कॉमर्शियल बैंकों की स्थिति में सुधार
रिपोर्ट में बताया गया है कि शिड्यूल्ड कॉमर्शियल बैंकों (एससीबी) की स्थिति मजबूत हुई है। यह सुधार उनकी बेहतर लाभप्रदता, घटती NPA और पर्याप्त पूंजी एवं तरलता बफर की वजह से हुआ है।
The Indian economy is exhibiting resilience and stability, and the #GDP is projected to grow at 6.6% in 2024-25, aided by a revival in rural consumption, a pickup in government consumption and investment, and strong services exports, a RBI report said.
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— Mint (@livemint) December 30, 2024
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जीएनपीए अनुपात में गिरावट
आरबीआई के अनुसार, शिड्यूल्ड कॉमर्शियल बैंकों का सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (जीएनपीए) अनुपात कई वर्षों के निचले स्तर पर है। परिसंपत्तियों पर रिटर्न (आरओए) और इक्विटी पर रिटर्न (आरओई) दशक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गए हैं।
मजबूत बैंकों का प्रदर्शन
रिपोर्ट में किए गए मैक्रो स्ट्रेस टेस्ट से यह सामने आया है कि अधिकांश शिड्यूल्ड कॉमर्शियल बैंकों के पास प्रतिकूल परिस्थितियों में भी पर्याप्त पूंजी बफर है। इसके अलावा, म्यूचुअल फंड और क्लियरिंग कॉरपोरेशन का लचीलापन भी इन परीक्षणों में साबित हुआ है।
जीडीपी वृद्धि में अस्थायी गिरावट
आरबीआई ने कहा कि 2024-25 की पहली छमाही के दौरान वास्तविक जीडीपी वृद्धि 6% दर्ज की गई, जो 2023-24 की पहली और दूसरी छमाही के दौरान क्रमश: 8.2% और 8.1% थी। हालांकि, रिपोर्ट का मानना है कि घरेलू खपत और निवेश, सेवा निर्यात, और आसान वित्तीय स्थितियों की मदद से 2024-25 की तीसरी और चौथी तिमाही में आर्थिक वृद्धि में सुधार की संभावना है।
महंगाई और फसल का प्रभाव
महंगाई के मुद्दे पर रिपोर्ट में कहा गया है कि बंपर खरीफ फसल और बेहतर रबी फसल की संभावनाओं से खाद्यान्न की कीमतों में नरमी आने की उम्मीद है। हालांकि, भू-राजनीतिक संघर्ष और भू-आर्थिक विखंडन से वैश्विक आपूर्ति शृंखला और कमोडिटी की कीमतों पर दबाव बढ़ सकता है।