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Petition Against CAA: मुस्लिम लीग और डीवाईएफआई ने सीएए लागू करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दी अर्जी, जानिए विरोध में क्या दी है दलील

Petition Against CAA: सीएए के खिलाफ पहले से ही सुप्रीम कोर्ट में तमाम अर्जियां दाखिल हुई थीं। इन सभी पर अब तक कोर्ट ने सुनवाई नहीं की है। वहीं, केंद्र सरकार का कहना है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित किया जाता है। उनके लिए ही सीएए लागू किया गया है।

नई दिल्ली। एक तरफ विपक्षी दल सीएए लागू करने का विरोध कर रहे हैं। असम में आज इसके विरोध में बंद का आह्वान भी किया गया है। वहीं, सीएए को लागू करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में भी दस्तक दी गई है। सीएए का नोटिफिकेशन जारी होने के एक दिन बाद मंगलवार को इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) और डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (डीवाईएफआई) ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी है। दोनों ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपनी अर्जी में कहा है कि सीएए का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। इसके अलावा सीएए मुस्लिमों से भेदभाव करता है। ऐसे में केंद्र सरकार को इसे लागू नहीं करना चाहिए था।

सीएए के खिलाफ पहले से ही सुप्रीम कोर्ट में तमाम अर्जियां दाखिल हुई थीं। इन सभी पर अब तक कोर्ट ने सुनवाई नहीं की है। वहीं, केंद्र सरकार का कहना है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित किया जाता है। उनके लिए ही सीएए लागू किया गया है। जबकि, सीएए का विरोध करने वाले ये तर्क देते हैं कि संविधान में बराबरी की बात की गई है। ऐसे में केंद्र सरकार खास धर्म के लोगों के लिए अलग से कानून नहीं बना सकती। कुछ विरोधियों का ये भी तर्क है कि पाकिस्तान में तो अहमदिया और शिया मुसलमानों पर भी अत्याचार होता है। ऐसे में उनको भी सीएए के जरिए नागरिकता दी जानी चाहिए।

सीएए के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से 31 दिसंबर 2014 तक भारत में शरण लेने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई को आवेदन करने पर नागरिकता देने का प्रावधान है। इसके लिए ऑनलाइन आवेदन लिया जाएगा। ऑनलाइन सीएए आवेदन के लिए गृह मंत्रालय ने अपना वेब पोर्टल भी आज जारी कर दिया है। भारत की नागरिकता लेने के लिए कुछ दस्तावेज भी देने होंगे। जिसे सही पाए जाने पर संबंधित व्यक्ति को सीएए के तहत नागरिकता दी जाएगी।