
नई दिल्ली। कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक चलने वाली भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी अब 3 जनवरी को लोनी के रास्ते उत्तर प्रदेश में प्रवेश करने वाले हैं। इससे पहले दिल्ली की सड़कों पर लिया गया उनका एक इंटरव्यू जमकर सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इंटरव्यू सड़क पर लिया गया है और इसमें राहुल गांधी ने अनोखे तरीके से अपने जवाब दिए हैं। इस इंटरव्यू के दौरान लैंब्रेटास, ड्रोन और ईवी, विमानन आदि कई मुद्दों पर बातचीत की गई, लेकिन इस बीच होस्ट ने उनसे एक सवाल किया- आपकी दादी को आयरन लेडी कहा जाता था..इस सवाल के बीच में राहुल बोल पड़े- ”उनको गूंगी गुड़िया भी कहा जाता था’, हां, वही लोग जॉन को गूंगी गुड़िया बुलाते थी बाद में उन्होंने ही उन्हें आयरन लेडी के नाम से संबोधित किया। वो हमेशा से ही आयरन लेडी थी।”
इसके बाद होस्ट ने सवाल किया कि आपका उनके साथ संबंध कैसा था, इसपर जवाब देते हुए राहुल गांधी ने कहा, “वह मेरे जीवन का प्यार थीं। मेरी मां के समान थीं।” इसके बाद होस्ट सवाल पूछता है कि आप किस तरह की महिला से शादी करना चाहेंगे, क्या आपकी पसंद आपकी दादी की तरह की महिला है?
इस पर राहुल गांधी कहते हैं, “मुझे नहीं पता लेकिन मैं अपनी मां और अपनी दादी दोनों का मिश्रण जिस महिला में होगा उसे पसंद जरूर करूंगा”
यहां देखिए वीडियो-
गूंगी गुड़िया से इंडिया इज इंदिरा ,आयरन लेडी बनने तक का सफर
आपको बता दें कि शुरुआती दिनों में राम मनोहर लोहिया ने ‘गूंगी-गुड़िया’ तो मोरारजी देसाई ने ‘लिटिल गर्ल’ वगैरह संबोधनों से पुकारा पर बीतते वक्त के साथ इंदिरा ने अपने काबिलियत का लोहा सबसे मनवा लिया। इंदिरा गांधी ने एक-एक करके सारे बुजुर्ग और तजुर्बेकार विरोधियों को कांग्रेस से दरकिनार कर ,एक समय देवकांत बरुआ का कहे ‘इंडिया इज इंदिरा ,इंदिरा इज इंडिया’ को सचमुच सही साबित कर दिया।
घर पर हुई थी इंदिरा की राजनीतिक परवरिश
अगर इंदिरा गांधी के राजनीतिक कैरियर की बात करें तो वह शुरुआत से ही राजनीति में काफी एक्टिव नहीं थी। हालांकि इंदिरा की परवरिश ही राजनीतिक माहौल में हुई थी, सो उन्हें सत्ता के दांव-पेंच सीखने में ज्यादा वक्त नहीं लगा। इसी कारण उन्होंने सरकार और पार्टी दोनों में में अपना एकछत्र राज चलाया. उन्होंने हर भूमिका को शिद्दत से निभाया चाहे पुत्री,पत्नी,मां,सास या एक कुशल राजनीतिज्ञ की। इंदिरा गांधी के व्यक्तित्व को गढ़ने में, उनके पिता पंडित जवाहरलाल नेहरु की खास भूमिका थी। उन्होंने 1928 को नैनीताल जेल से लिखें, लेटर फ्रॉम फादर टू हिज डॉटर के माध्यम से नन्ही इंदू ( इंदिरा के बचपन का नाम ) को दुनिया के विविध रंग-रूप, वेशभूषा, संस्कृति, सभ्यता और इतिहास से परिचित कराया। आगे चलकर उनके इसी ज्ञान ने उनको और राजनीतिज्ञों से ज्यादा तार्किक और बौद्धिक बनाया।