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भारतीय भाषाओं में फार्मेसी,इंजीनियरिंग, प्रबंधन और आर्किटेक्चर की पुस्तकें तैयार करने की पहल स्वागतयोग्य: ABVP

अभाविप के जयपुर राष्ट्रीय अधिवेशन में विस्तृत चर्चा के बाद यह स्पष्ट मत दिया गया था कि विभिन्न क्षेत्रों के पाठ्यक्रमों की पुस्तकें भारतीय भाषाओं में आनी चाहिए, जिससे भाषाई बाधा के कारण छात्रों के ज्ञानार्जन की समस्याएं दूर हो सकें।

नई दिल्ली। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद्, 22 भारतीय भाषाओं में फार्मेसी, इंजीनियरिंग, प्रबंधन और आर्किटेक्चर प्रोग्राम की पाठ्य पुस्तकें तैयार कराने के अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद् के प्रयासों का हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन करती है। भाषाएं केवल संचार का माध्यम नहीं, संस्कृति एवं संस्कार की वाहक भी हैं । भारतीय भाषाओं में नवीन विषयों से संबंधित ज्ञान के अवसर उपलब्ध होने तथा भाषाई बाधा दूर होने से विशेषतया देश के ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों की इन विषयों में नामांकन बढ़ने की संभावनाओं का निश्चित ही विस्तार होगा।

अभाविप के जयपुर राष्ट्रीय अधिवेशन में विस्तृत चर्चा के बाद यह स्पष्ट मत दिया गया था कि विभिन्न क्षेत्रों के पाठ्यक्रमों की पुस्तकें भारतीय भाषाओं में आनी चाहिए, जिससे भाषाई बाधा के कारण छात्रों के ज्ञानार्जन की समस्याएं दूर हो सकें। ‘स्वभाषा में सम्पूर्ण ज्ञान’ के भाव को इस तरह के कदम से प्रोत्साहन मिलेगा और देश की युवा पीढ़ी अपनी भारतीय परंपराओं में निहित ज्ञान के साथ नवीन विषयों को सहजता के साथ अपनी स्वभाषा में आत्मसात कर सकेगी।

Yajnavalkya Shukla

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के राष्ट्रीय महामंत्री याज्ञवल्क्य शुक्ल ने कहा कि,” भारतीय भाषाओं में हमारी ज्ञान परंपरा संरक्षित है , हमारी शिक्षा व्यवस्था के आधुनिक मूल्यों को भारतीय परंपरा में निहित मूल्यों के साथ जोड़ा जाना अत्यावश्यक है। भारतीय भाषाओं में आधुनिक पाठ्यक्रमों की पाठ्यपुस्तकों को तैयार करना स्वागतयोग्य कदम है। अभाविप इस संबंध में स्पष्ट मत रखती है कि इन पुस्तकों का अनुवाद पठनीय तथा सरल होना चाहिए जिससे ज्ञान प्राप्ति में भाषाई जटिलताएं बाधा न बने।”