
नई दिल्ली। इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉर्पोरेशन यानी आईआरसीटीसी ने टिकट बुकिंग में बड़ा घपला उजागर किया है। साइबर क्राइम पर जोरदार प्रहार करते हुए आईआरसीटीसी ने छानबीन की और पाया कि रेलवे टिकट बुकिंग का बड़ा रैकेट चल रहा है। ये रैकेट फर्जी यूजर आईडी और बॉट्स के जरिए सेकेंडों में रेलवे के टिकट बुक कर लेता था। इससे तत्काल व अन्य तरीके से ट्रेनों के टिकट लेने वालों को दिक्कत हो रही थी। न्यूज चैनल इंडिया टीवी की खबर के मुताबिक रेलवे रिजर्वेशन के लिए यात्रा से 2 महीने पहले से टिकट बुकिंग की सुविधा के बावजूद लोग शिकायत कर रहे थे कि वे जब रिजर्वेशन करना चाहते हैं टिकट नहीं मिलता।
ऐसी शिकायतें लगातार जब आईआरसीटीसी के पास आईं, तो उन्होंने इस पर ध्यान दिया। आईआरसीटीसी से यात्रियों की आमतौर पर यही शिकायत थी कि रिजर्वेशन शुरू होते ही सारी सीट कुछ ही मिनटों में बुक हो जाती हैं। इसकी वजह से लोगों को आरएसी टिकट तक नहीं मिल रहा था और ज्यादातर को वेटिंग लिस्ट का टिकट मिलता। यात्रियों की शिकायत के बाद आईआरसीटीसी ने जांच शुरू की और पाया कि साइबर फ्रॉड करने वाला नेटवर्क इसके पीछे है। ये नेटवर्क फर्जी आईडी और स्क्रिप्ट्स से टिकट बुकिंग के सामान्य तरीके को बायपास करता था और जल्दी टिकट बुक कर लेता। इससे आम यात्रियों का जब तक मौका आता, ट्रेन की सभी सीटें बुक हो चुकी होतीं।
आईआरसीटीसी ने जांच को आगे बढ़ाया। देखा गया कि पिछले 5 महीने में 2.5 लाख पीएनआर रिजर्वेशन प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही बन गए। इससे साफ हो गया कि ट्रेन टिकट बुकिंग में कुछ गड़बड़ है। इसके बाद इस तरह ट्रेन टिकट करने में इस्तेमाल 2.5 करोड़ फर्जी यूजर आईडी को ब्लॉक किया गया। इन फर्जी आईडी से कन्फर्म टिकट हासिल कर नेटवर्क में शामिल साइबर अपराधी ज्यादा कीमत पर यात्रियों को बेचते थे। आईआरसीटीसी की जांच में पता चला कि फटाफट टिकट बुक करने वालों ने ऑटोमेटिक टूल और बॉट का सहारा लिया। यानी वे पहले से ही सिस्टम में यात्री का नाम, यात्रा की तारीख वगैरा डालकर रखते और टिकट बिक्री शुरू होते ही अपने आप संबंधित यात्री का टिकट बुक हो जाता। अब रिजर्वेशन सिस्टम में एंटी बॉट सॉफ्टवेयर लगाया गया है। अधिकारियों का कहना है कि इससे लाखों यात्रियों को टिकट बुक करने में दिक्कत पेश नहीं आएगी।