
श्रीहरिकोटा। आप और हम जब शनिवार रात को सो रहे थे, तो आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिक जाग रहे थे। उनके चेहरों पर तनाव था। इसरो का सबसे बड़ा रॉकेट लॉन्च पैड पर था। लॉन्च के लिए उलटी गिनती चल रही थी। ये गिनती अंतिम दौर पर पहुंची। 10..9..8..7..6..5..4..3..2..1..और इसके साथ ही इसरो के सबसे बड़े रॉकेट एलवीएम3 के इंजनों ने गड़गड़ाना शुरू किया। तेज आवाज से लॉन्च पैड हिल उठा। पीली-नीली आभा रॉकेट के इन ताकतवर इंजनों से निकलने लगी। रॉकेट ने लॉन्च पैड से उड़ान भरी और इसरो के वैज्ञानिकों ने इतिहास रच दिया।
#WATCH | ISRO launches LVM3-M2/OneWeb India-1 Mission from Satish Dhawan Space Centre (SDSC) SHAR, Sriharikota
(Source: ISRO) pic.twitter.com/eBcqKrsCXn
— ANI (@ANI) October 22, 2022
इसरो के वैज्ञानिकों ने जो नया इतिहास रचा है, आज तक दुनिया में कोई और देश रच नहीं सका है। इसरो ने अपने इस नए और सबसे ताकतवर रॉकेट से एक ही बार में 36 उपग्रहों को सफलता से अंतरिक्ष में स्थापित किया। ये सारे उपग्रह ब्रिटिश संचार कंपनी वनवेब के हैं। उपग्रह 4-4 के बैच में लॉन्च किए गए। इनको सफलता से लॉन्च होते देखकर वैज्ञानिकों में खुशी थी। इसरो के कंट्रोल रूम में तालियों की गड़गड़ाहट सुनाई दे रही थी। इसरो के प्रमुख डॉ. एस. सोमनाथ ने बताया कि 36 उपग्रहों को ले जाने वाला रॉकेट 43.5 मीटर लंबा था। इस रॉकेट से 8000 किलोग्राम भार तक के उपग्रह भेजे जा सकते हैं।
इसरो का एमवीएम3 रॉकेट कई स्तर वाला है। इसमें दो सॉलिड मोटर स्ट्रैप ऑन, एक लिक्विड मोटर और क्रायोजेनिक इंजन है। इस उड़ान से 5796 किलोग्राम वजन से उपग्रहों को अंतरिक्ष में स्थापित किया गया है। इसका क्रायोजेनिक इंजन ज्यादा बड़ा है और उससे काफी ताकत रॉकेट को हासिल होती है। सॉलिड स्टैप ऑन बूस्टर्स और लिक्विड प्रोपेलेंट वाले इंजन इसे शुरुआती गति देते हैं। जिसके बाद क्रायोजेनिक इंजन इसे और रफ्तार देकर अंतरिक्ष में तय की गई जगह तक उपग्रहों को पहुंचाता है। इसरो चीफ ने बताया कि अगले 6 महीने में एक बार फिर वनवेब के 36 और उपग्रहों को इसी रॉकेट के जरिए अंतरिक्ष में भेजा जाएगा।