
श्रीहरिकोटा। इसरो ने गगनयान मिशन के क्रू मॉड्यूल की टेस्ट उड़ान फिलहाल स्थगित कर दी है। आज सुबह गगनयान के क्रू मॉड्यूल को सुबह 8 बजे लॉन्च किया जाना था। गगनयान के क्रू मॉड्यूल की लॉन्चिंग मौसम खराब होने के बाद फिर सुबह 8.30 बजे तक टाली गई थी। सुबह 8.30 बजे के लिए गगयान के क्रू मॉड्यूल की लॉन्चिंग की जब उलटी गिनती चल रही थी और यान के प्रक्षेपण में महज 5 सेकेंड का वक्त रह गया, तो एएलएस यानी ऑटोमैटिक लॉन्च सीक्वेंस कम्प्यूटर ने गगनयान के क्रू मॉड्यूल की लॉन्चिंग रोक दी। इसरो के प्रमुख डॉ. एस. सोमनाथ ने बताया कि लॉन्चिंग के टलने की वजह का वैज्ञानिक पता करेंगे। उन्होंने कहा कि इसके लिए रॉकेट तक जाना होगा। सोमनाथ ने बताया कि इसरो जल्दी ही गगनयान क्रू मॉड्यूल की टेस्टिंग के लिए दोबारा तारीख तय करेगा।
#WATCH | Gaganyaan’s First Flight Test Vehicle Abort Mission-1 (TV-D1) launch put on hold at 5 seconds pic.twitter.com/ygOkpdaUx3
— ANI (@ANI) October 21, 2023
गगनयान के इस क्रू मॉड्यूल का नाम इसरो ने टीवी-डी-1 रखा है। गगनयान क्रू मॉड्यूल को एक रॉकेट के जरिए अंतरिक्ष की तरफ प्रक्षेपित किया जाना था। रॉकेट के 17 किलोमीटर ऊंचाई तक पहुंचने के बाद क्रू मॉड्यूल को उससे अचानक अलग करने की योजना थी। फिर ये क्रू मॉड्यूल नीचे आता और तीन बड़े पैराशूट के जरिए बंगाल की खाड़ी में इसे गिरना था। जहां भारतीय नौसेना के गोताखोरों को इसे हासिल करने का जिम्मा दिया गया था। इस टेस्ट उड़ान से इसरो के वैज्ञानिक ये देखना चाहते थे कि असली अंतरिक्ष यात्रियों के समय जब गगनयान भेजा जाएगा, तब किसी खतरे की स्थिति में क्रू मॉड्यूल को रॉकेट से सफलता से अलग कर अंतरिक्ष यात्रियों की जान बचाई जा सकती है या नहीं, लेकिन ये टेस्ट आज नहीं हो सका। इसरो इससे पहले भी कई बार अपने तमाम टेस्ट और रॉकेट लॉन्च में नाकाम रहा है, लेकिन उसके वैज्ञानिकों ने फिर दोगुने उत्साह से अपनी मंजिल को हासिल जरूर किया।
गगनयान की बात करें, तो 2024 के अंत या 2025 में इसे अंतरिक्ष में लॉन्च किया जाने वाला है। भारत के लिए ये मिशन बहुत अहम है। पीएम नरेंद्र मोदी ने बीते दिनों इसरो को आगे के काम का शेड्यूल भी सौंप दिया है। इसमें 2030 तक अंतरिक्ष में भारत का स्पेस स्टेशन स्थापित करने और 2035 में चांद पर भारतीय अंतरिक्ष यात्री को उतराने की जिम्मेदारी शामिल है। चांद पर बीती 23 अगस्त को इसरो के वैज्ञानिकों ने सफलतापूर्वक चंद्रयान-3 को उतारा था। चांद के दक्षिणी ध्रुव के पास यान उतारने का करिश्मा अब तक सिर्फ भारत ने ही किया है। बाकी देशों के यान चांद की भूमध्य रेखा के आसपास उतरे थे।