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Chandrayaan 3 Updates: ISRO का लेटेस्ट अपडेट, चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर मिला ऑक्सीजन और सल्फर, हाइड्रोजन की खोज जारी

अगर रूस का यह मिशन सफल रहता, तो भारत दक्षिण ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला नहीं, बल्कि दूसरा देश होता, लेकिन यह खिताब अपने नाम करके जो कीर्तिमान स्थापित किया है, उसकी चौतरफा तारीफ हो रही है। वहीं, इसरो चंद्रयान तीन से जुड़ी पल-पल की जानकारी साझा कर रहा है।

नई दिल्ली। चंद्रयाना-3 की सफलता को लेकर चौतरफा भारत को बधाइयां मिलने का सिलसिला जारी है। भारत चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बन चुका है। हालांकि, भारत से पहले रूस ने लूना मिशन को चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर भेजने की कोशिश की थी, लेकिन उसका मिशन विफल हो गया। अगर रूस का यह मिशन सफल रहता, तो भारत दक्षिण ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला नहीं, बल्कि दूसरा देश होता, लेकिन यह खिताब अपने नाम करके जो कीर्तिमान भारत ने स्थापित किया है, उसकी चौतरफा तारीफ हो रही है। वहीं, इसरो चंद्रयान तीन से जुड़ी पल-पल की जानकारी साझा कर रहा है।

अब इसी बीच खबर है कि चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर ऑक्सीजन की मौजूदगी मिली है। फिलहाल नाइट्रोजन की तलाश जारी है। इसरो ने इस संदर्भ में जानकारी देते हुए बताया कि यथास्थान वैज्ञानिक प्रयोग जारी हैं… रोवर पर लगा लेजर-प्रेरित ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (एलआईबीएस) उपकरण पहली बार इन-सीटू माप के माध्यम से, दक्षिणी ध्रुव के पास चंद्र सतह में सल्फर (एस) की उपस्थिति की स्पष्ट रूप से पुष्टि करता है। जैसा कि अपेक्षित था, Al, Ca, Fe, Cr, Ti, Mn, Si और O का भी पता चला है। हाइड्रोजन (एच) की खोज जारी है। एलआईबीएस उपकरण को इलेक्ट्रो-ऑप्टिक्स सिस्टम्स (एलईओएस)/इसरो, बेंगलुरु की प्रयोगशाला में विकसित किया गया है।

isro chandrayaan

इससे पहले इसरो ने गत 28 अगस्त को चंद्रमा पर सल्फर की मौजूदगी की पुष्टि की थी। वहीं, वैज्ञानिकों ने इसके बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि एलआईबीएस एक ऐसी वैज्ञानिक तकनीक है, जो सामग्रियों को तीव्र लेजर पल्स के संपर्क में लाकर उनकी संरचना का विश्लेषण करती है।चट्टान या मिट्टी जैसी किसी सामग्री की सतह पर हाई एनर्जी लेजर पल्स केंद्रित होती हैं। बहरहाल, अब आगामी दिनों में चंद्रयान -3 के अंतर्गत क्या-क्या जानकारी मिलती है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।