नई दिल्ली। नवरात्रि के पहले दिन कांग्रेस ने मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए 144 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी। मध्यप्रदेश विधानसभा में 230 सीटें हैं और यहां 17 नवंबर को विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग होगी। अपनी पहली लिस्ट में कांग्रेस ने छिंदवाड़ा सीट से पूर्व सीएम और पार्टी के वरिष्ठ नेता कमलनाथ को फिर उतारा है। छिंदवाड़ा सीट कमलनाथ का गढ़ है। इसके अलावा कांग्रेस ने चाचौड़ा से वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह और दिग्विजय के राघोगढ़ से उनके बेटे जयवर्धन सिंह को भी टिकट दिया है। इससे पहले बीजेपी ने मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए 136 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट कुछ दिन पहले ही जारी की थी। मध्यप्रदेश के लिए कांग्रेस उम्मीदवारों के चयन के लिए पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति यानी सीईसी की बैठक हुई थी।
सीईसी की बैठक के बाद कमलनाथ और मध्यप्रदेश में कांग्रेस के प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने कहा था कि प्रत्याशियों के नाम पर चर्चा हुई है। कुछ दिनों में लिस्ट आ जाएगी। फिर कांग्रेस के नेताओं ने बताया था कि नवरात्रि पर पार्टी की तरफ से लिस्ट जारी की जाएगी और मध्यप्रदेश चुनाव में कौन लड़ेगा या कौन नहीं इसका खुलासा किया जाएगा। अब नवरात्रि के शुरू होते ही कांग्रेस ने अपनी लिस्ट जारी कर दी है। आप नीचे देखिए कि कांग्रेस ने मध्यप्रदेश की 144 सीटों पर किसे लड़ाने का फैसला किया है।
मध्यप्रदेश विधानसभा के 2018 के चुनावों की बात करें, तो तब यहां कांग्रेस को 230 में से 114 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। कांग्रेस ने तब यहां बीजेपी को सत्ता से हटाया था। बीजेपी को 2018 में मध्यप्रदेश में 109 सीटें ही मिली थीं। इसके अलावा बीएसपी को 2, सपा को 1 और 4 निर्दलीयों को भी 2018 के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल हुई थी। साल 2020 में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में शुमार ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बगावत कर दी। वो बीजेपी में शामिल हो गए। ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में जाते ही उनके करीबी 25 कांग्रेस विधायकों ने भी पाला बदल लिया था। ये सभी विधानसभा से इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हो गए थे। कांग्रेस में बगावत हुई, तो तत्कालीन सीएम कमलनाथ ने विधानसभा में शक्ति परीक्षण से पहले इस्तीफा दे दिया। इसके बाद एक बार फिर शिवराज सिंह चौहान ने बतौर सीएम मध्यप्रदेश की सत्ता संभाली। सिंधिया की बगावत के बाद जो उपचुनाव हुआ, उसमें बीजेपी को 19 और कांग्रेस को 9 सीटें मिली थीं। सिंधिया के साथ बीजेपी में शामिल होने वाले 25 विधायकों में से 18 दोबारा चुन लिए गए थे। जबकि, 7 अन्य को पराजय का सामना करना पड़ा था।