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Kasturba Gandhi: कस्तूरबा गांधी की बर्थ एनिवर्सरी आज, बापू के साथ उनके संघर्ष में दिया पूरा साथ

आपको बता दें कि कस्तूरबा गांधी अपने भाई बहनों में तीसरे नंबर थी। उस वक्त लड़कियों को पढ़ाया नहीं जाता था और उनकी शादी जल्दी करा दी जाती थी। ऐसा ही कुछ कस्तूरबा गाधी के साथ हुआ। उनकी सगाई 7 साल की उम्र में महात्मा गांधी से हो गई थी। उस वक्त महात्मा गांधी की उम्र महज 6 साल थी। दोनों की शादी 13 साल की उम्र में हु थी।

नई दिल्ली। कस्तूरबाई मोहनदास गांधी एक भारतीय राजनीतिक कार्यकर्ता थीं, जो ब्रिटिश भारत में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल थीं। उनका विवाह मोहनदास गांधी से हुआ था, जिन्हें आमतौर पर महात्मा गांधी के नाम से जाना जाता है। भारत में प्रतिवर्ष 11 अप्रैल को कस्तूरबाई के जन्मदिन के अवसर पर राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस मनाया जाता है। कस्तूरबा गांधी को देश बा के नाम से पुकारता था। कस्तूरबा गांधी का जन्म 11 अप्रैल 1869 में पोरबंदर में हुआ था। कस्तूरबा गांधी अपने पति यानी गांधी जी से उम्र में 6 महीने बड़ी थी। कस्तूरबा गांधी के पिता का नाम गोकुलदास मकनजी था जो कि साधारण व्यापारी थे। आइए कस्तूरबा गांधी की बर्थ एनिवर्सरी पर जानते हैं उनके जीवन के संघर्ष के बारे में-

महात्मा गांधी से 6महीने बड़ी थी कस्तूरबा 

आपको बता दें कि कस्तूरबा गांधी अपने भाई बहनों में तीसरे नंबर थी। उस वक्त लड़कियों को पढ़ाया नहीं जाता था और उनकी शादी जल्दी करा दी जाती थी। ऐसा ही कुछ कस्तूरबा गाधी के साथ हुआ। उनकी सगाई 7 साल की उम्र में महात्मा गांधी से हो गई थी। उस वक्त महात्मा गांधी की उम्र महज 6 साल थी। दोनों की शादी 13 साल की उम्र में हु थी। हर पत्नी की तरह कस्तूरबा गांधी ने भी अपनी पति का हर कदम पर साथ दिया हैं।

74 साल में इस दुनिया को कहा अलविदा

ब्रिटिशों के खिलाफ आजादी की लड़ाई लड़ बैरिस्टर मोहनदास करमचंद गांधी महात्मा गांधी बने। देश के लिए इन्होंने इतने त्याग और संघर्ष किया, देशवासियों ने इन्हें भगवान का दर्जा दिया। ये सब महात्मा गांधी अकेले कभी नहीं कर पाते उनका इन सब में साथ उनकी पत्नी कस्चूरबा गांधी ने दिया था। कस्तूरबा गांधी ढाल बन कर बापू के लिए खड़ी रही। कस्तूरबा गांधी भी गांधी जी की तरह स्वतंत्रता सेनानी थी। उन्होंने बापू के साथ सारे दुख सुख बाटें। ऐसा कहा जाता हैं कि कस्तूरबा गांधी को पहले निमोनिया हुआ उससे वो ठीक हो गई थी लेकिन फिर उन्हें दो बार उन्हें दिल का दौरा पड़ा, जिसके बाद 22 फरवरी 1944 को देहांत हो गया। कस्तूरबा गांधी की जब मृत्यु हुआ तब वह 74 साल की थी।